गुत्थम गुत्थी में फंसा पेण्ड्रा चुनाव , राष्ट्रीय पार्टियों में निगेटिव पोलिंग का समीकरण , मतदाता मौन मगर चर्चाएं गंभीर

गुत्थम गुत्थी में फंसा पेण्ड्रा चुनाव , राष्ट्रीय पार्टियों में निगेटिव पोलिंग का समीकरण , मतदाता मौन मगर चर्चाएं गंभीर
पेण्ड्रा : – नगरीय निकाय चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले की गुत्थम गुत्थाई में फंस गया है जहाँ आम मतदाता मौन है और कुछ भी बोलने कहने से कतरा रहे है चूंकि मामला ही कुछ ऐसा है कि एक तरफ कांग्रेस से भईया जिनका अपना जनाधार है वही भाजपा से सेठजी जिनको लेकर नकारात्मकता नही है वही निर्दलीय प्रत्यासी जिनके पांच सालों का समीक्षा , ऐसी पसोपेश की स्थिति में मतदाता चुप जरूर है मगर सवाल और चर्चाओं का बजार गर्म है . जैसे जैसे चुनाव तारिक नजदीक आती जा रहा है वैसे वैसे जनता पिछले कार्यकाल की समीक्षा के साथ भईया जी और सेठ जी अचार-विचार और व्यवहार पर नजर बनाए हुए है . चूंकि प्रत्यासी तीनो दमदार और युवा है तो मतदाता भी फिलहाल शंसय की स्थिति में है .
गुत्थम गुत्थी में फंसा चुनाव : –
यह गुत्थी तो परिणाम के दिन ही सुलझ पाएगी मगर इस चुनाव में माउथ केन्वासिंग ज्यादा प्रभाव डाल रही है . पेण्ड्रा का चुनाव हमेशा समीकरण पर आधारित रहा है हालांकि तीनो युवा चेहरे मैदान में है और जोरआजमाइश के साथ अपने पक्ष में माहौल बना रहे है . हर कोई यही कहता फिर रहा है कि अभी कुछ भी कहना मुश्किल है वार्ड एक से लेकर पांच वार्ड निर्णायक फैसले देगा शायद यही कारण है कि तीनों ने अपनी पूरी ताकत यही झोंक दी है .
पूरे शहर में इन दिनों चुनावी चर्चाओं का माहौल है लोग या पार्टी के लोग भी चुहाटबाजी में ही सही कह रहे है छोटे का माहौल ठीक है . वही भईया को नजरअंदाज भी नही कर पा रहे है, सेठ जी के पास अब तो बेहतर टीम संघठन है तो कहना मुश्किल होता जा रहा है कि गेंद किसके पाले में है . बात करें छोटे की तो सीढ़ी चढ़कर अब छोटा भाई ऑटो के सफर में निकल गए है बताते है कि जबसे छोटे को ऑटो मिला है कुछ पार्षद उस ऑटो में बैठने की लालसा रख रहे है . मगर उनके साथ समस्या यह कि ऑटो चारो ओर खुली होती है इसलिए डर भी है कि कही नजर न आ जाएं इसलिए पार्षद अब ऑटो को सिर्फ तिरछी निगाहों से देखकर आगे बढ़ जा रहे है हालांकि ऑटो वाला मान मनऊल में लगा हुआ है कि बैठ जाओ कुछ ऊपर नीचे होगा तो समझ लेंगे .
अब भईया की बात करे तो शहर क्या गांव के आखरी छोर तक भईया का जलवा कायम है . भईया में वो लीडरशिप क्वालिटी भी है जो एक जनप्रतिनिधि में होनी चाहिए लोग इस बात को खुलकर कह भी रहे है और आश्वस्त भी है ।मगर समस्या यह है कि भईया से लोग डरते है अब यह सम्मान वाला डर है या डरने वाला यह तो यह तो वही बताएंगे . भईया के पास अपनी एक वफादार टीम उनके लिए वरदान की तरह है मगर यही टीम में कुछ लोग पहले ही जीत को लेकर आश्वस्त हो चुके है और तरह तरह की बाते करने लगे है . दुरस्त सूत्र बताते है कि एक तरफ भईया हाथ जोड़के विनम्रता से मिल रहे है तो वही पीछे के कुछ चेहरे समीकरण बिगाड़ने में लगे है . भईया को चाहिए कि भईया टीम को एक बार छन्नी में छान लें वरना यह घातक सिद्ध होगा पहले ही एक ने भईया का नक्षत्र खराब किया है अब दूसरी बार कुछ हुआ तो यह भईया कोनुकसान पहुँचा सकता है .
सेठजी भी धीरे धीरे आगे बढ़ते जा रहे है शुरुआती समय मे लोग इन्हें तीसरे पायदान पर देख रहे थे मगर जिस रफ्तार और टीम वर्क के साथ सेठजी मैदान में आये तो लोग भी हतप्रद रह गए है . गजब की एनर्जीटिक क्षमता सोशस मीडिया से लेकर मैदान तक सिर्फ सेठ जी ही छाए हुए है . सेठ जी को लेकर एक बात की चर्चाएं तो है कि सेठ जी ही है जो भ्रष्टाचार और ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगा सकते है . चूंकि सेठजी उस परिवार से आते है जिस परिवार ने वर्षो से निस्वार्थ समाजसेवा में अपना योगदान दिया है . अगर वह नगर के प्रथम व्यक्ति की कुर्सी में बैठेंगे तो शहर को नई विकास की राह दे सकते है . इन सबके बीच सेठजी के लिए भी निगेटिव पोलिंग मुसीबत बन सकती है . इनके भी कुछ पार्षद या कहिए समर्थक ऑटो की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे है अंदर की सूचनाएं बाहर तक पहुँच रही है . अब जो सेठजी ने नाराज है वह कही न कही रास्ता तो ढूढेंगे ही तो उनके लिए बेस्ट ऑप्शन ऑटो है अगर धीरे धीरे ऑटो में सवारी बैठी तो मुश्किल बढ़ जाएगी सेठजी को चाहिए कि जल्दी से जल्दी ऐसे लोगो को टाइट करे .
मौन मतदाता : –
मतदाता मौन है और हो भी क्यो न एक तो पहले ही एक चाचा का नाम वापसी से सीधा सीधा एक डेढ़ खोखे का नुकसान हो गया अब नजर त्रिकोणीय मुकाबले पर है । बताते है कि आगामी एक दो दिन बाद साक्षात बादलों से लक्ष्मी वर्षा होगी ग्रामीण मतदाता मौन है चूंकि सबसे मिलना है जुलना है इसके बाद अपने मन से जो अच्छा होगा वह बटन दब जाएगा वही शहरी मतदाता इस इंतजार में बैठा है कि शाम की ठंडी में कुछ तो गर्मी आये हालांकि शहरी लोगो में यह क्वालिटी तो है जिसका लेंगे उसको देंगे या तो नही लेंगे . बादल से लक्ष्मी गिरेगी तो बाजार में भी रौनक आएगी इससे एक आंकलन तो निकल जाएगा कहा कितना कौन दिया . अब देखना यह है कि आखरी तक कौन मजबूती से खड़ा रहता है कत्ल की आखरी कील जो ठोकेगा उसके आगे निकलने की संभावनाए है .
इन सबके बीच एक बात और गौर कीजियेगा मतदाता माउथ केन्वासिंग में सबकुछ कह रहा है और पहला दूसरा तीसरा बता दे रहा है “लेकिन यह बोलकर किसी को बताना नही है” मैं तो चाहता हूं वो जीते लेकिन उसके जीतने की संभावना ज्यादा है मतलब मतदाता अभी कंफ्यूज है .