भर्राशाही : – मूल तहसीलदारो को किनारे लगाकर नायब तहसीलदार को दो मुख्य तहसील का प्रभार , पूर्व नायब तहसीलदार को भी दिया था चार तहसीलों का प्रभार जिसपर लग रहे गंभीर आरोप ,

नायब तहसीलदार को दो मुख्य तहसीलों का प्रभार , अचार सहिंता में नियमो की उड़ाई का रही धज्जियां ,

जीपीएम : – जिले का पेण्ड्रा तहसील भ्रष्टाचार और विवादों का अड्डा बन चुका है अभी बीते दिनों पेण्ड्रा के नायब तहसीलदार सुनील ध्रुव द्वारा मंदिर की जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम पर चढ़ाकर भूमि स्वामी दर्ज करने का मामला सामने आया था जिसपर आज पर्यन्त तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाही नही की गई है जबकिं मामले की शिकायत ग्रामीणों ने कलेक्टर से लेकर राजस्व विभाग के उच्चाधिकारियों से की थी . इतने संवेदनशील मामले में शिकायत के बाउजूद अब तक कार्रवाही न होना बताता है कि पूरा प्रशासन किस कदर भ्रष्टाचार में लिप्त होकर सिर्फ अवैध कमाई में लगा हुआ है .

नायब तहसीलदार को दो तहसीलों का प्रभार : –

इसके पहले भी जिले में पदस्थ एक नायब तहसीलदार को राजस्व का सर्वे सर्वा बना दिया था जिसे एक दो नही चार  तहसीलों का प्रभार दे दिया गया था . इस नायब तहसीलदार की खूबी यहाँ नही रुकती पता नही किसलिए उच्चाधिकारियों की इस नायब तहसीलदार पर इतनी कृपा थी कि इस नायब तहसीलदार को विधानसभा चुनाव के समय नोडल अधिकारी भी बना दिया गया था . जबकिं यह चुनाव के नियम के दायरे में नही आता है . मामला जब तूल पकडने लगा तब ले दे कर नायब तहसीलदार का सामान्य तबादला जिले से बाहर किया गया  .

पुराने नायब तहसीलदार का एक और किस्सा है जिसने जाते जाते डिजिटल सिग्नेचर लॉक होने के पहले जमीनों और आदेशो की धज्जियां उड़ाते हुए ताबड़तोड़ आदेश जारी किया गया . मामले की शिकायत हलाकान होकर जब उच्चाधिकारियों की गई उसके बाद आईडी लॉक की गई .

इतना ही नही पूर्व नायब तहसीलदार ने अपने पदस्थापना और दोहरे प्रभार के दौरान अपने भिलाई , कोरबा और रायपुर के रिश्तेदारो के नाम पर कई जमीनों का खेल खेला और खरीदी बिक्री भी गई . जिसकी शिकायत राजस्व मंत्री से और अन्य राजस्व अशिकारियो से की गई है

ऐसे ऐसे कारनामो के बाद नायाब तहसीलदार का सामान्य तबादला तो हुआ मगर भर्राशाही नही बदली  अब यह कृपा वर्तमान में पेण्ड्रा नायब तहसीलदार सुनील ध्रुव पर आ गई सुनील ध्रुव को भी हूबहू प्रभार दे दिया गया है . सुनील ध्रुव को पेण्ड्रा के साथ साथ गौरेला तहसील का प्रभार दे दिया गया है . जबकिं पूरे देश अचार सहिंता लगी हुई है चुनावी प्रक्रिया में तहसीलदार की अहम भूमिका हो जाती है . सवाल यह उठता है कि आखिर एक नायाब तहसीलदार दो तहसीलों की जिम्मेदारी कैसे पूरी कर पायेगा .

डिप्टी कलेक्टर कार्यालय में अटैच : –

बताते चले कि जिले में तीन डिप्टी कलेक्टरों को कलेक्टर कार्यालय में अटैच करके रखा गया है जो मूल तहसीलदार है उन्हें भी किनारे लगा दिया गया है एक दौर यह भी था जब गौरेला पेण्ड्रा मुख्य तहसील होने के कारण इनका प्रभार डिप्टी कलेक्टर रेंक के अधिकारियों को दिया जाता रहा है .  डिप्टी कलेक्टर से सीधे नायाब तहसीलदार वो भी एक नही दो दो तहसीलों के प्रभार दे दिया गया है .

नायब तहसीलदारों को तहसील का प्रभार देकर इसकी आड़ में जमकर वूसली का खेल खेला जा रहा है . सूत्र तो यह भी बताते है कि पेण्ड्रा और गौरेला तहसील का पूरा संचालन तखतपुर तहसील कार्यालय से होता है जहाँ के निर्देश पर ही सुनील ध्रुव की कलम चलती है . मंदिर की जमीन को भी निजी लोगो ने नाम पर चढ़ाने का आदेश यही से प्राप्त हुआ था आसपास के ग्रामीण तो यह भी बताते है कि सुनील ध्रुव के द्वारा पर नामांतरण के पीछे 10 – 10 हजार रुपये लिया जाता है जिसपर सुनील ध्रुव कहते है कि उच्चाधिकारियों समेत यह रकम का हिस्सा अन्य जिलों में भी जाता है .

सवाल यह उठता है कि आखिर एक नायब तहसीलदार पर इतनी कृपा क्यो कि एक ही नायब को हर जगह का प्रभारी बनाकर बैठा दिया जाता है . जबकिं यह उच्चाधिकारियों की मंशा को साफ जाहिर करता है कि यह बड़े लेनदेन के लिए इस तरह का प्रभार बांटा जा रहा है


एक तरफ देशभर में आचार सहिंता लगी हुआ है इस अचार सहिंता में भी इस तरह उगाही का खेल सत्तादल को कही न कही खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है चूंकि तहसील एक ऐसा कार्यालय है जहाँ ग्रामीण अपनी फरियाद लेकर आते है वही इस कदर भ्रष्टाचार और अराजकता का माहौल तो अंदाजा लगाइए की कैसे जनता को भरोषा होगा . एक तरफ भाजपा जीरो टॉलरेंस और सुशासन की सरकार का डंका बजा रही है जो धरातल पर नजर नही आता है ऐसे में जरुरी है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल कसी जाए ताकि आगामी चुनाव में इसका अच्छा परिणाम देखने को मिले .

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