मंत्री जी की घोषणा, विभाग की थूक-पॉलिस और कलेक्टर मैडम का संभावित पुरस्कार , GPM की सड़कें फिर भी युद्ध से पहले ही शहीद!

मंत्री जी की घोषणा, विभाग की थूक-पॉलिस और कलेक्टर मैडम का संभावित पुरस्कार , GPM की सड़कें फिर भी युद्ध से पहले ही शहीद!
गौरेला -पेण्ड्रा – मरवाही : – जिला प्रशासन सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहा है मंत्री जी की घोषणा के अनुसार कारिआम बसंतपुर मार्ग एवं गौरेला वेंकटनगर मार्ग में युद्ध स्तर पर बीटी पेंच रिपेयरिंग का कार्य जारी है। लेकिन सवाल यह है कि साहेब युद्ध स्तर पर काम हो रहा है या सड़कें ही युद्ध का मैदान बना दी गई हैं? इंस्टाग्राम पोस्ट में दिख रहे रोड रोलर , जेसीबी और ड्रोन-शॉट जैसी तस्वीरों ने कुछ देर के लिए माहौल बना दिया वाह! प्रशासन जाग गया! मगर जमीनी हकीकत यह है कि जहाँ एक तरफ मंत्री जी का नाम लेकर युद्ध स्तर पर रिपेयरिंग का ढोल पीटा जा रहा है,वहीं दूसरी तरफ उसी सड़क पर ताजा डाले गए पेंच उखड़कर लोगों दुकान तक पहुँच रहे है।

इस सोशल मीडिया में जिस कारिआम बसंतपुर रोड की बात की जा रही है उस सड़क की रिपेयरिंग हर दो-चार महीने में होती है लेकिन सड़क साल भर बीमार ही रहती है। यह सड़क पिछले कुछ सालों से एक चक्रव्यूह में फँसी है कि पेंच लगते ही उखड़ना, उखड़ते ही पुनः पेंच लगना शुरू हो जाता है। अब तो लोग मजाक में कहने लगे हैं इस रोड का ठेका शायद क्वार्टरली मेंटेनेंस प्लान में है जिसे उखड़ना ही उखड़ना है।

गौरेला वेंकटनगर रोड जो अंतरराज्यीय सीमा से लगा हुआ है मगर इसकी हालत गली मोहल्लों से भी बदतर स्थिति में है। इन सबपर सबसे बड़ा व्यंग्य यह है कि पीडब्ल्यूडी का अपना दफ्तर जिस सड़क पर है वही सबसे ज्यादा टूटी हुई! हाँ, यह कहानी यहीं पूरी मज़ेदार होती है लोक निर्माण विभाग जिस सड़क पर बैठा है, वही सड़क उनसे बन नहीं पा रही। लगभग दो साल पहले बनी वह सड़क आज खड्डों का संग्रहालय बन चुकी है। लोग हतप्रभ हैं जिस विभाग की अपनी चौखट तक टूटी पड़ी है, वह जिले की सड़कें क्या सुधार लेगा?

बताते चले कि यहाँ के अफसर वर्षों से एक ही जगह टिके हुए हैं जो उन्हें स्थानीयता का फायदा दिलाते है। वही जिस पद पर ट्रांसफर हर 2-3 साल होना चाहिए, उधर SDO साहब 3 साल से भी ऊपर बैठे हुए हैं, और सड़कें रोज़ गवाही दे रही हैं कि सब ठीक है। यही हाल लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों का है जो वर्षों से यही टिके हुए है।

कलेक्टर मैडम कही पुरुस्कार न ले ले –
लोग अब मजाक में कह रहे हैं कल को ऐसा न हो कि यह युद्ध स्तर की पेंच रिपेयरिंग राजधानी पहुंच जाए और कलेक्टर मैडम को साल का श्रेष्ठ सड़क सुधार अभियान का अवार्ड मिल जाए! क्योंकि तस्वीरें तो इंस्टाग्राम में बहुत सुंदर लग रही हैं असलियत से ज़्यादा फ़िल्टर में मेहनत है। एक तरफ दुर्घटनाएँ रोज़, दर्द रोज़, पेंच छिटक-छिटक कर सड़क किनारे रोज़ आ रहे है और अब इन सड़कों पर चलना अब वाहन चलाना कम, पथरीली लॉटरी खेलना ज़्यादा हो गया है। बाइक चालक गिर रहे हैं , कारों के शॉक एब्ज़ॉर्बर रो रहे हैं। एम्बुलेंस तक 15 की स्पीड में चल रही है और इस पर विभाग कह रहा है युद्ध स्तर पर रिपेयरिंग चल रही है।

कुलमिला कर भ्रष्टाचार की सड़क पर विकास का डामर टिक नहीं रहा है। यह पेंच रिपेयरिंग नहीं, डामर का अंतिम संस्कार है। 60 लाख की लागत में जो थूक-पॉलिस दिखाई दे रही है, वह बताती है कि समस्या सड़क की नहीं,
नीति, नीयत और निगरानी की है। सड़कें केवल वाहनों से नहीं टूटतीं बे-निगरानी, बे-रोकटोक और बे-शर्मी से भी टूटती हैं। जिले की जनता अब पूछ रही है युद्ध स्तर पर काम हो रहा है…या युद्ध स्तर पर भ्रष्टाचार?”










