चुनावी समीकरण बदलने की अंतिम रात , सियासी दाँवपेज में फंसी कोटा सीट ,

चुनावी समीकरण बदलने की अंतिम रात , सियासी दाँवपेज में फंसी कोटा सीट ,

कोटा – चुनाव प्रचार थमने के बाद प्रत्यासी का प्रत्यासी से मिलना एक आम बात है मगर किसी पार्टी के प्रबल समर्थक का एक सत्तादल के समर्थक से मिलना जो पहले से अपनी दावेदारी के लिए आश्वस्त थे इस तरह चुनाव के एक दिन पहले की मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है अब यह आखरी कत्ल की रात यानि (आज रात प्रत्याशियों को नींद नही आने वाली) में यह मेलजोल कितना फायदा या नुकसान पहुँचाती है यह तो भविष्य में तय होगा मगर यह तो तय है कि इससे चुनाव का समीकरण जरूर बदलेगा .

कोटा विधानसभा जो रोचक होने के साथ साथ चर्चित सीट भी है वही विधानसभा की आखरी दिन में कई समीकरण बदलने की संभावना प्रबल दिखलाई पड़ती है . चूंकि कांग्रेस से कई निष्काषित नेता कांग्रेस को ही सेंध लगा रहे है . यह सेंध कही कही पर खुलकर भी दिखलाई पड़ रही है तो कही अंदर ही अंदर बड़ा खेल हो रहा है सत्तादल के करीबी दबी जुबान में अपने भविष्य का आंकलन और खुद के राजनीतिक वजूद को लेकर भी चिंतित नजर आ रहे है . तभी तो कही न कही सत्तादल के करीबी खुद ही भाजपा या जेसीसीजे की तरफ अपना झुकाव बना रहे है

सत्तादल न्यायधानी के शीर्ष भी इस कवायद में लगे है कि कही उनका स्थान बन जाये चूंकि पांच सालों के कार्यकाल में उन्हें अपना स्तर तो नजर आ ही गया है यही हालात अरपा के इस पार के सत्तादल नेताओ का भी है जो इस डर में है कि जेसीसीजे से आये लोग उनपर हुकूमत न चलाने लग जाएं जो डर लाजमी भी नजर आता है .

आज की रात कत्ल की रात है चूंकि कल मतदान होना है अब कांग्रेस को सेंध लगाने उनके ही पार्टी के लोग अपने समीकरण में लग गए है चूंकि यह चुनाव उनके भी राजनीतिक भविष्य को तय करेगा

कोटा विधानसभा का यह चुनाव हारने वाले दो प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का लगभग अंत तय कर देगा चूंकि तीनो दलों ने अपने संघटन पदाधिकारी और शीर्ष नेतृत्व के करीबी लोगों को उम्मीदवार बनाया है अब देखना यह होगा कि कोटा की जनता किस प्रत्यासी पर अपना भरोषा जताती है और किसके राजनीतिक भविष्य को संवारती है

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