विश्व का पहला आदिवासी तीर्थ बनेगा कौशल्या धाम , आदिवासी अंचल इस राज्य को भगवान राम ने दिलाई निशाचरों से मुक्ति – गुरुदेव

विश्व का पहला आदिवासी तीर्थ बनेगा कौशल्या धाम , आदिवासी अंचल इस राज्य को भगवान राम ने दिलाई निशाचरों से मुक्ति – गुरुदेव

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रो में आज भी जब कोई कार्य की शुरुआत की जाती है तब भगवान राम की आराधना की जाती है . रामायण काल मे वर्णित आदिवासी गीतों में राम वनवास का दुःख प्रकट किया जाता है किस तरह अपने पिता की मृत्यु , सीता हरण आदि से घिरे हुए राम पर आदिवासियों द्वारा अनेक गीत रचे गए है . इसी तरह राम रावण युद्ध का करमा गीत में वर्णित है . त्रेता युग मे राम के वनवास काल में कैसे आदिवासी समाज ने अपना सहयोग किया इसका वर्णन रामायण में आलेखित है इसी सहयोग और आदिवासियों का राम के प्रति समर्पित भाव को देखते हुए पाटेश्वर धाम के संतराम बालक दास मंदिर संपर्क यात्रा निकालते हुए आज बीहड़ जंगल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र अम्बागढ़ चौकी पहुँची . यह यात्रा अम्बागढ़ चौकी से लगभग 35 किलोमीटर दूर बसे गांव कोरचाटोला , कुसुमकसा , हेमलकोहड़ो और टाटेकसा पहुँची जहाँ आदिवासी समाज के लोगो ने संत श्री का स्वागत किया और कौशल्या धाम के निर्माण में अपना दान संकल्प लिया .
पाटेश्वर धाम के संत श्री बताते है कि कौशल्या धाम विश्व का पहला आदिवासी तीर्थ स्थल होगा संत श्री अपने उद्बोधन में बताया कि आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति में राम है आदिवासी सच्चे हृदय से राम को पूजते हैं आदिवासियों के गीत के पूर्व सुमरन में ही कहते हैं ‘पहले सुमीरो वीर हनुमान दूसरों सुमीरों श्री राम’। भक्ति और श्रद्धा के साथ आदिवासियों के जीवन शैली में राम रचे बसे हैं . लेकिन समाज को तोड़ने वाले कुछ लोग आदिवासियो को रावण का वंशज बताते हैं . जबकि राम तो उनके त्राता थे और उन्होंने ही वनों में बसी जनजातियों को रावण के आतंक से मुक्त किया था . इसीलिए आदिवासियो ने राम को स्वीकार किया है . और यही स्विकारोत्ति बताती है कि यह माता कौशल्या का संस्कार है जो भगवान राम ने आदिवासियों की पीड़ा समझते हुए इस समाज को निशाचरों से मुक्ति दिलवाई .
यह चल रही मंदिर यात्रा अम्बागढ़ चौकी के आसपास लगे बीहड़ ग्रामीण अंचल तक जाएगी जहाँ आदिवासी समाज से संत श्री कहते है कि अधिक संख्या में पहुँचे और माता कौशल्या चरणों मे अपना योगदान देवे .