विनोद कुमार शुक्ल स्मृति सभा में रचनाकारों ने माना की साधारण होना उन्हें बना देता था असाधारण

रायपुर। जन संस्कृति मंच की रायपुर इकाई ने देश के नामचीन लेखक विनोद कुमार शुक्ल की स्मृति में गुरुवार को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया. शंकर नगर स्थित अपना मोर्चा कार्यालय में आयोजित की गई सभा में बड़ी संख्या में उपस्थित रचनाकारों और शुक्ल के परिजनों ने माना कि विनोद कुमार शुक्ल अपने लेखन के जरिए ताजिंदगी मनुष्यता के पक्ष में खड़े रहे. वे साधारण शब्दों में जो कुछ भी बुनते थे वह उन्हें असाधारण बना देता था. शुक्ल सच्चे अर्थों कवि थे.उनकी हर बात में कविता होती थीं.
श्रद्धांजलि सभा में जसम रायपुर की अध्यक्ष जया जादवानी ने कहा कि उनसे होने वाली हर मुलाकात प्रेरणादायक होती थीं. उन्होंने बताया कि किताब- सब कुछ होना बचा रहेगा पर जब समीक्षा लिखी तब यह जाना कि वे साधारण ढंग से व्यापक वृतांत रचने की क्षमता रखते थे. जया जादवानी ने कहा कि उनके लेखन में एक ईमानदारी थीं और इसी ईमानदारी की वजह से उन्हें जीवन में वह सब कुछ हासिल हुआ जिसके वे सही अर्थों में हकदार थे.
जसम की वरिष्ठ लेखिका रूपेंद्र तिवारी ने कहा कि जब सत्ता अराजक होकर मनुष्य और मनुष्यता को कुचलने के उपक्रम में लगी हुई थीं तब अंतिम समय तक विनोद कुमार शुक्ल मनुष्यता को बचाने के लिए जद्दोजहद करते हुए लेखन कर रहे थे. उन्होंने विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित एक आलेख का पाठ करते हुए कहा कि शुक्ल की कविताओं और उपन्यासों में जीवन के बहुत बड़े अर्थ बहुत छोटे दृश्यों में दिखाई देते हैं…एक खिड़की, एक साइकिल, एक हाथी, एक परछी, या चाय बनाती एक बूढ़ी स्त्री में. खिलाड़ी वही है, जो दीवार में छिपी रहती है—कभी कविता में, कभी उपन्यास में, और कभी हमारे अपने जीवन में. विनोद कुमार शुक्ल के साहित्यिक संसार में जीवन बिना किसी घोषणा के घटित होता है…और साहित्य बिना शोर-शराबे के मनुष्य के भीतर तक उतर जाता है.

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