कड़ाके की ठंड में राजनीतिक फिजाओ में गर्मी , कांग्रेस की प्रतिद्वंदता भाजपा की असमंजसता में घिरी सियासत , नए चेहरे की तलाश में जनता ,

कड़ाके की ठंड में राजनीतिक फिजाओ में गर्मी , कांग्रेस की प्रतिद्वंदता भाजपा की असमंजसता में घिरी सियासत , नए चेहरे की तलाश में जनता
पेण्ड्रा : – राजनेतिक फिजाओ में गर्माहट के बीच शहर में चुनावी समीकरण तैयार होने लगे है . जैसे ही प्रदेश के स्थानीय चुनाव को लेकर घोषणा हुई है वैसे ही इस ठंड में पारा अब बढ़ चुका है . हालांकि अभी चुनाव को लेकर तारिक तय नही की गई है मगर अनारक्षित(सामान्य) सीट से उम्मीदवारो के साथ साथ जनता के चेहरे भी खिल उठे है यह कारण है कि अब खुलकर शहर में चुनावी चर्चाएं होने लगी है . पार्टी किसे टिकट देगी किसे नही यह तो भविष्य में तय हो ही जायेगा लेकिन चर्चाएं तो सिर्फ दो ही चेहेरो पर हो रही मगर विडंबना देखिए ये दोनों ही चेहरे एक ही पार्टी के है .
कांग्रेस में प्रतिद्वंदता : –
एक ही पार्टी के दो चेहरे एक अध्यक्ष तो दूसरा उपाध्यक्ष अब इसमें मामला अलग फंसा हुआ है एक ने चुनावी शंखनाद करते फिर पुराने ढर्रे को अपनाते हुए बताने की कोशिश की चुनाव पैसे से ही निकाला जाता है अब जिसके पास पैसा है वही नेता है वाला कांसेप्ट खड़ा हो गया है पब्लिक भी कंफ्यूज है क्योंकि पांच साल पहले की ही तो बात है जनता से लेकर पार्षद तक सब का हिसाब किताब हुआ और ये वाला हिसाब डायरी में लिखाया है अब भईया को ये पता है कि कहा कितना और कैसे देना है . अब बात पैसे पर ही टिकेगी तो भईया कह रहे है इस बार मामला खोखे में है . कड़ाके की ठंड के कंबल बंट रहा है इधर कंबल बंट रहा है उधर लोगो ने केलकुलेशन लगाना भी शुरू कर दिया है कि कितना लग गया बताते है कि पहली ही बॉल में लगभग 10 खाली हो गया और हरिद्वार से लाये गंगाजल की कसम अलग से खिलवाई गई है .
प्रतिद्वंतत्ता तो पांच साल शहर में खुलकर नजर आई अब यह चुनाव में भी नजर आने लगी है दो ही उम्मीदवार अब इसमें एक कह रहा कि हमारे पास तो पैसा है . यह बात लोग ही नही गाहे बगाहे भईया भी कह ही देते है कि पार्टी से टिकट नही मिली तो निर्दलीय दावेदारी ठोक देंगे इस प्रतिद्वंतत्ता मे कही दोनों को ही किनारे न लगा दिया जाए और नए चेहरे में दांव लग जाए कांग्रेसी भी इसी तरफ निगाहे टिकाए बैठे है कही इनका कटा तो हम लाइन में तो आ ही जायेंगे . अब इसमें देखना है कि किसका पलड़ा कितना भारी पड़ता है एक तरफ एकलौते सांसद महोदय है तो वही एक विधायक दिलचस्प होगा जानना की कौन किस पर भारी हालांकि इसका इंतजार शहर भी बेसब्री से कर ही रहा है .
भाजपा में असमंजसता : –
भाजपा असमंजश की स्थिति में है हालांकि कांग्रेसियों से ज्यादा भाजपाई ज्यादा उत्सुक है कि कांग्रेस किसपर दांव लगा रही है प्रतिद्वंतत्ता और कांग्रेस के सत्ता में न होने की स्थिति मे इसका फायदा भाजपा न उठा ले . अब यह तय तो भाजपा किसपर दांव लगाती है इसपर डिपेंड करेगा . एक साल पहले सत्ता में आई भाजपा में तो होड़ सी लग गई है पूरी जोगी कांग्रेस भाजपा में कूद पड़ी है और सब टिकट के दौड़ में शामिल हो गए है और बताते फिर रहे है कि हम पुराने संघी है अनारक्षित सीट भी भईया के कहने में हुआ है कि उनकी टिकट फाइनल हो गई है . अब यह टिकट किस्से फाइनल करवा रहे है यह तो जोगीरा ही जाने लेकिन जोगी कांग्रेस से आये लोग अलग ही स्वेग में है .
फिलहाल भाजपा में बैठकों का दौर शुरू हो चुका है लेकिन बताते है कि 75 कुर्सी से ज्यादा नही लग पा रही है वही आ रहे है जिनको टिकट चाहिए बाकी लोग ठंड के ठिठुरते कंबल ओढ़ के सोए है ये झोले में बंटने वाले कंबल की बात नही हो रही है किसी भाजपाई के पास से अगर यह झोला मिल भी गया तो यह महज संयोग की बात होगी .
नए चेहरे की तलास : –
इस सब से इतर बात करे जनता के मिजाज की तो जनता को चाहिए कि इस बार जो भी शहर का प्रतिनिधित्व करें चाहे वह किसी भी पार्टी से हो उसके पास कम से कम पांच साल का रोडमेप हो , विजन हो , क्रिएटिविटी हो , सुनने वाला हो , जिससे आम जनता सहजता से अपनी बात कह सके इसमे जो खरा उतर पायेगा उसी पर सरताजी होगी . बरहाल जैसे जैसे ठंड बढ़ेगी वैसे वैसे सियासी गर्माहाट बढ़ने की पूरी संभावना है कांग्रेस भाजपा और निर्दलीय मिलाकर दो दर्जन से ज्यादा लोग दावेदारी पेश कर सकते है माहौल दिलचस्प होने वाला है