बनते बिगड़ते समीकरण में पेण्ड्रा का सियासी मिजाज , लोकल ही नही प्रदेश के कद्दावर नेताओ की साख दांव पर ,

बनते बिगड़ते समीकरण में पेण्ड्रा का सियासी मिजाज , लोकल ही नही प्रदेश के कद्दावर नेताओ की साख दांव पर ,

पेण्ड्रा : – नगर पालिका पेण्ड्रा में त्रिकोणीय मुकाबला बेहद ही रोचक होता जा रहा है . हमारी चल रही चुनावी सीरीज से लोगों में असहजता भी दूर हुई है अब लोग कम से कम बिना नाम लिए ही सही चर्चा तो कर रहे है . इन चर्चाओं में लोग अब बताने लगे है कौन पहला , दुसरा या कौन होगा तीसरा यह नंबर वाला खाँचा जगह सिचुवेशन के हिसाब से ऊपर नीचे होता रहता है . अब सबका अपना समीकरण है और सबके अपने विचार इसपर न जाकर समझने की कोशिश करते है यहाँ का सियासी समीकरण
यहाँ एक बात बताना जरुरी है कि पेण्ड्रा के चुनावी इतिहास खंखाले तो एक बात तो स्पष्ट है कि पेण्ड्रा का चुनाव मुद्दों , मूलभूत समस्याओं पर न होकर समीकरण पर आधारित होता आया है . इस समीकरण खेल को समझेंगे तो आपको बहुत सी चीजे साफ हो जाएगी .

राजधानी की नजर : –

पेण्ड्रा के रोचक मुकाबले पर राजधानी तक की नजर टिकी हुई है चूंकि यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से काफी मशहूर रहा है और बताते है कि कई बड़े नेताओं की साख भी दांव पर लगी हुई है . बात करे 2023 विधानसभा चुनाव की तो इस चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई . इसके साथ ही कांग्रेस के कई फाड़ हो गए जिसमे एक A टीम और दूसरी B टीम के दो बड़े नेताओं ने अपना दांव यहाँ खेला है शायद यही कारण है कि पेण्ड्रा नगरीय निकाय में कांग्रेस की टिकट जारी करने में भयंकर रस्साकसी का माहौल देखने को मिला अंततः स्थानीय विधायक के चेहरे मुहर लगाई गई , वहीं इस चयन से नाराज B टीम के नेता ने अपने निर्दलीय प्रत्यासी रूप में निवर्तमान अध्यक्ष जो कांग्रेस से टिकट की दौड़ में थे उन्हें मैदान में उतार दिया .

बताता चलू जिस तरह निर्दलीय प्रत्यासी ने जो माहौल बनाया है वह अचानक से नही बना है इसकी लंबी तैयारी और सोच समझ कर लिया गया निर्णय लगता है . तब तो कांग्रेस से टिकट फाइनल नही होने के दूसरे ही दिन ही निर्दलीय प्रत्यासी ने ताल ठोकते हुए सबसे बड़ी भीड़ लेकर नामांकन दाखिल करने पहुँच गए और 10 वार्डो में अपने निर्दलीय पार्षद भी मैदान में उतार दिए .

नगरीय निकाय में दिग्गज नेता ढूंढ रहे जमीन:-

नगरीय निकाय चुनाव में प्रदेश स्तर के दिग्गज नेता भी अपनी जमीन तलाशने में लगे हुए है . सूत्र तस्दीक करते है कि रस्साकसी के इस खेल में स्थानीय विधायक ने यह दावा किया है कि अगर उनका प्रत्यासी नही जीता तो आगामी किसी चुनाव में वह टिकट की मांग नही करेंगे . वही B टीम और कभी यहाँ के प्रभारी रहे नेता ने भी निर्दलीय प्रत्यासी उतारकर चुनावी शंखनाद का बिगुल बजा दिया है . बताते है कि इन दो बड़े नेताओं के प्रत्यासी में एक भी जीता तो यह दूसरे बड़े नेता के लिए घातक हो जाएगा इसलिए दोनों ही बड़े नेताओं ने तन, मन और धन लगाकर पूरी ताकत यहाँ झोंक दी है . इस चुनाव में लोकल ही नही प्रदेश के A , B दोनों टीम के नेता अपनी जमीन तलाशने में अपनी ही पार्टी से जीत हार की जद्दोजहद में लगे है . इसलिए कहना गलत नही होगा कि यह चुनाव लोकल ही नही प्रदेश स्तर के नेताओ के साख और वजन को भी तय करेगा .

आधुनिक मशीने : –

चर्चाएं है कि इस चुनाव में B टीम के निर्दलीय प्रत्यासी के लिए अन्य राज्यो से टीम उतर गई है जो हर तरीके से सक्षम है . इनका बड़ा बड़ा सेटअप और चुनाव में आधुनिक मशीन भी उपयोग की जा रही है यह वही मशीन है जिससे लोगो के पर्सनल नंबर पर कॉल कर अपने पक्ष में वोट की अपील की जा रही है . इस फोन कॉल में छोटे भाई और सेठजी का कॉल तो लोगो तक पहुँच रहा है मगर भईया का कॉल अब तक नही आया है मतलब भईया इस आधुनिक टेक्नोलॉजी से दूर दिखलाई पड़ते है . चर्चाएं है कि इस मशीन का किराया ही पेटी में है मिली जानकारी अनुसार इस आधुनिक मशीन का काम है कि जो लोकल नेटवर्क को कैप्चर करेगा और उस नेटवर्क में आने वाले नंबरो पर ऑटोमेटिक कॉल चला जायेगा जिसमे रिकार्ड किये हुए शब्द बोले जाएंगे . यह आधुनिक मशीन और सेटअप कितना कारगर सिद्ध होगा यह तो समय ही बताएगा मगर इससे यह तो पता चलता है कि चुनाव कितना हाईटेक हो चुका है .

भाजपा बढ़ रही आगे : –

इन दो बड़े नेताओं और लोकल नेताओ की लड़ाई में भाजपा धीरे धीरे अपनी बढ़त बनाने में सफल होती जा रही है . संघठन की एंट्री ने तो जैसे भाजपा में जान ही फूँक दी है बताते है कि यह टीम अंदर ही अंदर तक घुसी हुई है जिसे न तो ग्लेमर चाहिए न ही फ़ोटो फ़्रेम निस्वार्थ भाव से लगी इस टीम के आने से भाजपा का ग्राफ कही न कही बढ़ रहा है . 2023 विधानसभा की बात करें तो उक्त चुनाव में भले ही कांग्रेस जीती मगर कांग्रेस के गढ़ में जिस तरह संघठन भाजपा ने सेंधमारी की थी वह अप्रत्याशित था . पेण्ड्रा के इतिहास में यह पहली बार था जब यहाँ भाजपा ने इतनी बढ़त बना पाई थी जो ऐतिहासिक था . अगर वही जादू फिर चला तो यह भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है अब भाजपा सत्ता में है तो अगर आमजनता का खिंचाव सत्तारूढ़ दल की इस ओर बढ़ता है तो भाजपा इसमें बाजी मार जाएगी .

आखिरी कील : –

कहते है चुनाव के आखरी दो दिन बताता है कि गेंद किसके पाले में जा रही है इसके लिए तीनो ने अपनी कमर कस ली है . भाजपा के पास सत्ता का फायदा और संघठन की टीम है जो पूरी तन्मयता से लगी हुई है और रही बात मैनेजमेंट की तो भाजपा प्रत्यासी इसमे पूर्ण रूप से सक्षम है यहाँ तक यह कहे कि दोनों से सक्षम है तो कहना गलत नही होगा .

वही ऑटो के पास सरलता सहजता के साथ अन्य राज्यो से मैनेजमेंट की टीम आई हुई है जो पूरा मैनेजमेंट संभाल रही है चर्चाएं यह है कि ऑटो चुनाव के अंत तक पहुँचते पहुँचते खाली हो जाएगा . इसके इतर दूसरी चर्चाएं यह भी है कि जो टीम आई है वह पूरी तैयारी के साथ आई है शायद यही कारण है कि छोटे भाई में भरपूर आत्मविश्वास और चेहरे में चमक अलग निखर के आ रही है .

भईया का मैनेजमेंट तो ऐसा है कि इनके पास अपने कमाए हुए लोग है जो आर्थिक रूप से काफी सक्षम है चर्चाएं है कि भईया के लिए लोगो ने अपना कलेक्शन शुरू कर दिया है . ऊपर से स्थानीय विधायक का संबल , अगर भईया मैनेजमेंट लास्ट तक संभाल पाए तो गेंद के इधर भी लुढ़कने के आसार है .

चुनावी गुत्थी जल्द सुलझेगी, मगर जनता इस पूरे माहौल का भरपूर आनंद ले रही है। चर्चाएं मजेदार हैं, और यही समय है जब लोग नेताओं के अच्छे-बुरे कामों का हिसाब किताब करते हैं। पेण्ड्रा की जनता अपने प्रतिनिधि को चुनने के लिए पूरी तरह तैयार है।.

 

 

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