गुरु नही तो जीवन शुरू नही, जिनदत्त सूरि जी ने लाखों का जीवन बदला

00 एक लाख तीस हज़ार अजैनों को जैन बनाने वाले युगप्रधान दादागुरुदेव श्री जिनदत्त सूरीश्वर जी की 871 वीं पुण्यतिथि मनाई गई
रायपुर। खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभ सूरि जी द्वारा प्रतिष्ठित चमत्कारी श्री जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी , भैरव सोसायटी में प्रथम दादागुरुदेव श्री जिनदत्त सूरि जी की 871 वीं पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई गई। प्रात: से ही सैकड़ों बच्चों व भाई बहनों ने दादागुरुदेव श्री जिनदत्त सूरि जी की प्रतिमा के सम्मुख इक्तिसा जाप किया व गुरूदेव का गुणानुवाद किया गया।
श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष बैद व महासचिव महेन्द्र कोचर ने बताया कि एक लाख तीस हज़ार अजैनों को जैन बनाने वाले एकावतारी युगप्रधान दादागुरुदेव श्री जिनदत्त सूरीश्वर जी की पुण्यतिथि के अवसर पर दादागुरुदेव का इक्तिसा जाप भक्ति भाव से किया गया। प्रथम दादागुरुदेव श्री जिनदत्त सूरि जी की गुणानुवाद सभा में अध्यक्ष संतोष बैद ने कहा कि 12 वीं शताब्दी में जब भारत में मुगल साम्राज्य द्वारा मंदिर व मूर्तियों को खंडित किया जा रहा था उस समय सुप्रसिद्ध जैन आचार्य श्री जिनदत्त सूरि जी ने अपने तपोबल व साधना से धर्म की रक्षा की। एक समय उज्जैन में उनके प्रवचन के समय 64 योगनियां श्राविका का रूप कर दादा जिनदत्त सूरी को कपट पूर्वक तंग करने आई जिसे अपने दिव्य ज्ञान से जानकर उन्हें मंत्र बल से उनके आसन में ही स्तंभित कर दिया जिससे 64 योगनियों ने नतमस्तक होकर आचार्य श्री को 7 वरदान दिए तथा सदैव उनकी आज्ञा पालन का वचन दिया वही अपनी साधना से 52 व्यंतर देव को भी सिद्ध किया तथा इन सभी सिद्धियों का जनहित में प्रयोग कर मुगल बादशाह को प्रभावित किया एक बार नगर में चतुर्मास प्रवेश के समय मुगल बादशाह के पुत्र कि घोड़े से गिरकर मृत्यु को हो गई तब आचार्य श्री ने बादशाह के पुत्र को अपने सिद्धिबल से व्यंतरदेव को उनके शरीर में प्रवेश करा कर जीवित कर दिया तथा बादशाह ने पुत्र के जीवित हो जाने की खुशी में अपने राज्य में दादा श्री जिन्दत सूरी के उपदेश से सभी मंदिर मूर्तियों को खंडित नहीं करने का आदेश जारी कर दिया दादा श्री ने साढ़े तीन करोड़ माया बिज मंत्रो को सिद्ध किया।
उज्जैन में वज्र स्तंभ मंत्र युक्त ग्रंथ रखे थे जिन्हे निकालने में कोई भी समर्थ नहीं था जिसे उन्होंने अपने सिद्धि बाल से निकाला अजमेर में जैन प्रतिक्रमण में शाम को बिजली का प्रकोप हुआ अनेक धर्म प्रेमी को बचाने बिजली को अपने पात्र में स्तंभित कर दिया तब विद्युत देवी ने वरदान दिया की जिनदत्त सूरी की आन है कहने से विद्युत प्रकोप नही होगा प्रथम दादा श्री के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी में आयोजित स्वर्गारोहण महोत्सव की गुणानूवाद सभा में ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष बैद ने आगे कहा की प्रथम दादा को युग प्रधान की उपाधि नागदेव श्रावक को अम्बा देवी के हथेली में स्वर्ण संदेश लिखा जिसे कोई भी आचार्य नही पढ़ पाया तब आचार्य श्री के मंत्रित वासक्षेप डालकर अपने शिष्य से पढ़वाया उस श्लोक में देवी ने लिखा था दासानुदासा इव सर्व देवा, यदिय पादाब्ज तले लूठनती , मरुस्थली कल्पतरु सजीयात, युगप्रधानो श्री जिनदत्त सूरी , ऐसे हमारे प्रथम दादा युगप्रधान के रूप में देवी अम्बा द्वारा प्रतिष्ठित हुए आज हम सभी उनके अनंत उपकारों का स्मरण करने ही उपस्थित हुए है इनके द्वारा 130000 नूतन जैन बनाए गए। दादागुरुदेव की बड़ी पूजा में अष्ठप्रकारी पूजा में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अंत में आरती व मंगल दीवा किया गया।