प्रधान आरक्षक का छलका दर्द , IPS आरिफ शेख़ पर लगाये कई गंभीर आरोप , प्रधान आरक्षक समेत पूरे परिवार को मिली जान से मारने की धमकी , गृह मंत्री विजय शर्मा से लगाई न्याय/संरक्षण की गुहार ,
रायपुर : – बेहिसाब पॉवर और उसके साथ सत्ता का संरक्षण अगर किसी पीड़ित को न्याय दिलाने के काम आए तो सही है मगर जब यही पॉवर और संरक्षण किसी को तबाह करने के लिए उपयोग किया जाए तो अंदाजा लगाइए इसकी परिणीति क्या होगी ? पूर्ववर्ती सरकार में इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला कि कैसे नौकरशाहो ने अपनी बेहिसाब पॉवर का दुरुपयोग किया और सत्ता के संरक्षण में बेतहाशा दौलत कमाई . कहते है इस दुनिया मे कुछ भी स्थिर नही है न तो पॉवर न ही सत्ता इसी तर्ज पर 2023 में सूबे से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया और खुलने लगे तत्कालीन सरकार और उनके नौकरशाहो के काले चिट्ठे ,
आरोप है IPS आरिफ शेख और उनके गुर्गो पर कैसे शेख साहब ने IPS जैसे पद का दुरुपयोग करते हुए एक प्रधान आरक्षक को खून के आंसू रुलाए यहाँ तक कि पॉवर के दम में पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई है यह दर्द पुलिस महकमे के ही एक आरक्षक का है जिसने अपनी आप बीती बताई की कैसे उस आरक्षक के साथ षणयंत्र कर उसे फंसाया गया उसके खिलाफ झूठे मुकदमे पंजीबद्ध करने की धमकी दी गई कैसे प्रधान आरक्षक पर दबावपूर्वक न्यायालीन कथन और कूटरचित हस्ताक्षर कराये गए . इस पूरे मामले को लेकर प्रधान आरक्षक ने गृह मंत्री विजय शर्मा से न्याय की गुहार लगाते हुए अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की मांग की है .
कूटरचना की गढ़ी कहानी : –
किसी भी भ्रष्टाचार , घोटाले और षणयंत्र में बलि का बकरा छोटा कर्मचारी ही बनता है और बड़े सरगना बच निकलते है मगर इस मामले में कूटरचित दस्तावेज और दबाव पूर्वक लिया गया कथन आईपीएस शेख साहब के गले का फांस बन गया है आरक्षक विजय कुमार पांडेय जो डीसीआरबी शाखा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ है उन्होंने बताया कि कैसे आईपीएस आरिफ शेख और चंद्रभूषण वर्मा द्वारा (जो वर्तमान में एक घोटाले के मामले में केंद्रीय जेल रायपुर निरुद्ध है) आरक्षक के कूटरचित हस्ताक्षर किए फर्जी जप्ती पत्रक बनाई दबावपूर्वक झूठे बयान करवाए गए । इस झूठे कूटरचित दस्तावेज फर्जी हस्ताक्षर का असल उद्देश्य आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ षणयंत्र और साजिश कर उन्हें बर्खास्त करना था जिस मंसूबे पर आईपीएस शेख साहब कामयाब भी हो रहे थे मगर CAT के आये आदेश से यह पूरा दांवपेंच उल्टा पड़ गया है .
अब आईपीएस आरिफ शेख के काले कारनामो का पुलिंदा खुलता जा रहा है जिसकी बानगी है यह आरक्षक का दर्द , डर और संवेदनाओं से भरा आवेदन जो बताता है कि कैसे नौकरशाहों ने सत्ता की चाटुकारिता की और अपने ही उच्चाधिकारी को फंसाने में लग गए .
पीड़ित आरक्षक का जिस पर आरोप उसमें एक चंद्रभूषण वर्मा पहले से केंद्रीय जेल में शेख साहब और अन्य भी है रडार में : –
पीड़ित आरक्षक ने जिन जिन पर आरोप लगाए है उनमें से एक चंद्रभूषण वर्मा पहले ही एक घोटाले में केंद्रीय जेल रायपुर में निरुद्ध है शेख साहब के गले मे भी तलवार लटकी हुई है दरअसल पिछली भुपेश सरकार में यह सबसे ज्यादा पॉवरफुल अफसर माने जाते थे यह पॉवर और सत्ता के संरक्षण का गुरुर ही था कि एक आरक्षक और उसके पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी देकर तमाम फर्जी हस्ताक्षर करवाए गए झूठे कथन लिए गए और इस झूठे दस्तावेजों को न्यायालय के समक्ष पेश भी किया गया . जिस महादेव सट्टा एप्प घोटाले के चंद्रभूषण वर्मा जेल की सलाखों के पीछे है उस महादेव सट्टा एप्प के सरगना है आईपीएस आरिफ शेख है और उनके कई साथी है जिनका नाम भी महादेव सट्टे एप्प घोटाले में शामिक है मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर रही है जल्द ही कानूनी शिकंजा इन कानून के रखवालों पर भी होगा जो वर्दी की आड़ में सारे अवैध कार्यो में शामिल रहे है और सत्ता के साथ मिलकर एक कार्यकर्ता के रूप में कार्य किये है .
साँच को आंच क्या : –
कहते है साँच को आंच नही होती यह पूरी कवायद जिस अफसर को अरझाने के लिए गढ़ी गई उसी कहानी में यह गढ़ने वाले अरझते चले जा रहे है दरअसल पूरी कहानी आईपीएस जीपी सिंह के लिए गढ़ी गई थी जिसमे उक्त आरक्षक को मोहरा बनाया गया था जीपी सिंह के मामले में लंबे समय के संघर्ष के बाद न्यायालय ने माना कि जीपी सिंह पर लगाये सारे आरोप झूठे और तत्कालीन सरकार और नौकरशाहों के गढ़े हुए है जिनपर तत्काल कार्रवाही करते हुए सारे मामले खत्म किये जायें मामले में हाई कोर्ट ने भी उनपर दर्ज मामले खत्म करने का आदेश दे दिया है . यह कहावत इस मामले में चरितार्थ होती है भले ही वक्त लगता है मगर जीत हमेशा सच्चाई की होती है .
विचारणीय है कि जब पुलिस महकमे का व्यक्ति अपने पुलिस विभाग में डर के साये में जी रहा है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आमजन की क्या स्थिति होगी इस पूरे मामले में प्रदेश की सुशासन वाली सरकार और ऊर्जावान गृह मंत्री विजय शर्मा को संज्ञान लेकर तत्काल कार्रवाही सुनिश्चित करनी चाहिए और उक्त आरक्षक को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए यह अफसर आज भी उतने ही ताकतवर और शक्तिशाली है जो आज भी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे है .