बीजेपी के दरबार मे मत्था टेकने पहुँच रहे खुफिया विभाग सहित चार प्रभावी अफसर , पूर्व मुखिया के ओएसडी करा रहे मध्यस्थता ,

बीजेपी के दरबार मे मत्था टेकने पहुँच रहे खुफिया विभाग सहित चार प्रभावी अफसर ,
पूर्व मुखिया के ओएसडी करा रहे मध्यस्थता ,
रायपुर : – छत्तीसगढ़ में मतदान सम्पन्न हो चुका है जिसके परिणाम की घोषणा 3 दिसम्बर को होना है इसके पहले सियासी समीकरण को लेकर कई कयास लगाए जा रहे है आखिर प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी यह चर्चाएं आमजन तक ही सीमित नही है इसमें आईएएस आईपीएस लॉबी भी अपने केरियर को लेकर चिंतित नजर आ रही है तब तो कई खुफिया विभाग समेत कई प्रभावी अफसर इन दिनों बीजेपी दफ्तर में मत्था टेकने पहुँच रहे है .
आखिर कौन है वह ओएसडी जो करा रहे मध्यस्थता : –
इन अफसरों को मध्यस्थता के लिए एक सूत्रधार की जरूरत थी जिसकी मुख्य भूमिका पूर्व मुखिया के ओएसडी अरुण बिसेन निभा रहे है जो इन दिनों अफसरों की गोपनीय बैठक करा रहे है ताकि आईपीएस अफसर आगामी भविष्य अपना सुरक्षित कर सके . सत्ता में कांग्रेस पुनः आएगी या बीजेपी सरकार बना लेगी यह तो भविष्य में तय हो ही जायेगा लेकिन आईपीएस अफसरों की इस तरह विपक्ष के दरबार मे माथा टेकने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है चुनावी समय है इस दौर में जितनी गोपनीयता बरती जाती है वह उतनी ही खुलकर बाजार के चर्चा का विषय बनती है इस बैठक का निर्णय क्या होगा या किन मुद्दों की लेकर गुमताड़े बैठाए जा रहे है यह तो यह प्रभावशील अफसर और अरुण बिसेन ही जानते है मगर यह संकेत की तरह नजर आता है कि क्या इस बार सत्ता पलट हो जाएगा अगर नही तो यह आईपीएस अफसर क्यो विपक्ष की चौखट में सर पटक रहे है .
कौन है वह प्रभावी अफसर जो विपक्ष में तलाश रहे अपना आगामी भविष्य : –
सूत्र बताते है कि इसमें खुफिया विभाग के बड़े बडे अधिकारी समेत कुछ प्रभावशाली अफसर का नाम शामिल है जो अरुण बिसेन से मध्यस्थता कर विपक्ष से गोपनीय मुलाकातें कर रहे है . इस गोपनीय मुलाकात का आखिर क्या मतलब है यह तो 3 दिसम्बर के परिणाम से लगभग तय हो जाएगा मगर सियासी सुगबुगाहट में जिस तरह से विपक्ष के बढ़त बनाने के संकेत है कही यही कारण तो नही की यह अफसर जो कांग्रेस की सत्ता में जमकर मलाई खाई अब भाजपा के नजदीकी बनाकर फिर से मलाई खाने की जुगत में लग गए है .
सरकार के इशारे पर चलने वाला प्रशासन खुद सरकार को अपनी उंगलियों में घुमाया पांच साल : –
कहते है सरकार और सत्ता के इशारे पर ही पूरा प्रशासनिक अमला चलता है मगर प्रदेश में चार ऐसे प्रभावी अफसर समेत खुफिया विभाग के अधिकारी शामिल है जिन्होंने पांच साल अपनी उंगलियों में सरकार को नचाया है अब जब चुनाव का समय है तो इन अफसरों के सर पर खतरा मंडराने लगा है यह अफसर चिंतित है चूंकि जिस सत्ता में इन अफसरों को तूती चली वह अब चुनावी समीकरण बदलते ही इनके गले का फांस न बन जाए तब तो यह अफसर अपने गले की हड्डी को निकालने की ऐसी जुगत में लगे है कि आगामी जिसकी भी सरकार बने यह पहले की तरह सत्ता को अपनी उंगलियों में नचा सके
हालांकि 3 दिसम्बर को यह तो तय हो जाएगा कि सरकार किसकी और कितनी सीटों के साथ बनेगी मगर यह प्रभावशील अफसर जो सत्ता शासन से बढ़कर रहे है इनके भी आगामी भविष्य का निर्णय करेगा चूंकि शासन की नुमाइंदगी करने वाले यह प्रभावशील अफसर ने पांच साल सरकार को हासिये पर रखकर जमकर मलाई खबोची है जिस वजह से इन्हें डर सताने लगा है .
अब चुनावी समय मे इन अफसरों की यह मध्यस्थता और मेल मुलाकात कितना रंग लाती है यह तो भविष्य में तय हो ही जाएगा और देखना यह भी होगा कि इस मेल मुलाकात में यह प्रभावशाली अफसर कैसे अपनी नई रणनीति के तहत अपनी जगह बनाते है या सत्ता परिवर्तन के बाद इनके केरियर पर भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगता है .