राजधानी में आबकारी अधिकारी फैला रहे अव्यवस्था , ओवर रेटिंग के बाद भी नही मिल रही मनपसंद ब्रांड

राजधानी में आबकारी अधिकारी फैला रहे अव्यवस्था , ओवर रेटिंग के बाद भी नही मिल रही मनपसंद ब्रांड

रायपुर : – नई आबकारी नीति के तहत सरकार ने इस बार 11 हजार करोड़ रूपए राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया है यह लक्ष्य सरकार के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। जिस तरह मदिरा दुकानों और बारो में अव्यवस्था का आलम है इससे सरकार लक्ष्य तो क्या पिछले रिकार्ड तक भी नही पहुँच पाएगी। अव्यवस्था के चलते बीते दिनों महासमुंद के आबकारी अधिकारी मोहित जयसवाल को निलंबित कर दिया गया मगर राजधानी में बत से बत्तर हालात के लिए आबकारी का कौन अधिकारी जिम्मेदार है यह बड़ा सवाल है।

पुलिस अधीक्षक को खुद उतरना पड़ा मैदान में

प्रदेश की राजधानी में आबकारी विभाग की हालात किस कदर खराब है कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एसएसपी संतोष सिंह को फील्ड में उतरना पड़ा। तो देर रात तक खुलेआम अवैध रूप से शराब परोसने की शिकायत मिल रही थी। जब एसएसपी फिल्ड पर उतरे तो होटल व बार पर कार्रवाही तो हुई मगर इसके बाद भी आबकारी विभाग के कान में जूं तक नही रेंगी और खुलेआम राजधानी में धड़ल्ले से पूरी पूरी रात अवैध शराब परोसी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से बड़ी मात्रा में अवैध शराब राजधानी में खपाया जा रहा है। इस रैकेट की जानकारी होने के बाद भी तगड़ा पैसा वसूलकर आंख बंद किए बैठे हैं।

मनपसंद ब्रांड नही

सरकारी शराब दुकानों में भारी गड़बड़ी सामने आ रही है। राजधानी की कई शराब दुकानों में पापुलर शराब की बोतलें गायब हैं तो कही ऐसी शराब को बोतलों को डिस्प्ले ही नहीं किया जा रहा है जो सबसे ज्यादा बिकती है। इसके अलावा कई दुकानों से बिक्री की राशि हफ्तों तक बैंक में जमा नहीं हो रही है। ऐसी ढेरों खामियां आबकारी विभाग के कार्यप्रणाली में दिखाई दे रही है।जबकि दावे यह किये गए थे कि नई आबकारी नीतियों के तहत मनपसंद शराब मिलेगी और आलम यह है मनपसंद छोड़िए ऐसी-ऐसी ब्रांड आ गईं है जिनका न तो नाम का पता है न ही उसकी गुणवत्ता की जांच की जा रही है। सरकार के राजस्व प्राप्ती का लक्ष्य कोसो दूर है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात क्या है और राजस्व पर इसका कितना असर हो रहा है।

आबकारी के उपायुक्त विकास गोस्वामी का खेल

राजधानी रायपुर में पदस्थ आबकारी उपायुक्त हमेशा से विवादों में रहे है। इसके पहले बलौदा बाजार में पदस्थापना के दौरान सुपरवाइजरों ने अवैध लेनदेन करने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से शिकायत की थी। वर्तमान में गोस्वामी राजधानी में पदस्थ है जहां ओवर रेटिंग और मनपसंद ब्रांड नही मिल रही है। एसएसपी की कार्यवाही से तस्दीक होता है कि आबकारी विभाग के नाक के नीचे से शराब का अवैध कारोबार पूरी रात फल फूल रहा है मगर इसके बावजूद उपायुक्त का इस ओर ध्यान न देना बताता है कि यह पूरा खेल कैसा खेला जा रहा है। वे तो यह भी कहते है कि आबकारी कमिश्नर का हाथ उनके सर पर है, चाहे मैं कुछ भी कर लूं मेरा कोई भी कुछ नहीं बिगाड सकता।

पिछली सरकार में जिस तरह शराब का घोटाला हुआ इसके बाद भी आज अधिकारियों के हौसले इस कदर बुलंद है कि खुलेआम अवैध शराब की बिक्री कर राजस्व को चुना लगा रहे है जबकि पूर्ववर्ती सरकार के अधिकारी और घोटालेबाज जेल की सलाखों के पीछे है मगर जाने इन अधिकारियों को किसका संरक्षण मिला हुआ है कि यह आंख में पट्टी बांध कर खुलेआम भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है।

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