पदोन्नति में आरक्षण व अन्य सांगठनिक मांगों को लेकर विद्युत कंपनी करेंगे प्रदर्शन

00 28 मुख्यालय में प्रदर्शन, 10 मार्च को क्षेत्रीय व मुख्यालय स्तर पर व 17 मार्च को चलेंगे अनिश्चितकालीन धरने पर
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल आरक्षित वर्ग अधिकारी संघ द्वारा विद्युत कंपनी में कार्यरत अधिकारी कर्मचारियों के पदोन्नति में आरक्षण एवं अन्य सांगठनिक मांगों को लेकर 22 जनवरी से 27 फरवरी तक छत्तीसगढ़ के प्रत्येक कार्यालय स्तर पर संवैधानिक जागरुकता एवं जनसंपर्क अभियान चलाकर समर्थन मांग कर रहे है। 28 फरवरी को 9 हजार अधिकारी और कर्मचारी मुख्यालय डंगनिया के गेट में मीटिंग कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। फिर भी अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाता है तो वे 10 मार्च को क्षेत्रीय एवं मुख्यालय स्तर पर एक दिवसीय सामूहिक अवकाश एवं विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके भी उनकी मांगें नहीं मानी जाती है तो 17 मार्च 2025 से क्षेत्रीय एवं मुख्यालय स्तर पर अनिश्चितकालीन सामूहिक धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाएंगे। उक्त चरणबद्ध आंदोलन की अवधि में होने वाले किसी भी कार्यालयीन व्यवधान के लिए विद्युत कंपनी प्रबंधन जिम्मेदार होगा। उक्त जानकारी पत्रकारवार्ता में आरक्षित वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव इंजीनियर के. मंडावी, अध्यक्ष आर.एल. ध्रुव, कार्यकारी अध्यक्ष एचके मेश्राम, सुमीत चौहान, मनहरण चंद्रवशी ने संयुक्त रुप से दिया।
उन्होंने बताया कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर राज्य सरकार द्वारा 16.04.2024 को जारी हाईकोर्ट के निर्देशानुसार आरक्षण नियम के नियम 5 को अधिसूचित करने हेतु पिंगुआ कमिटी का गठन किया गया है। वहीं पर विद्युत कंपनी प्रबंधन द्वारा छ.ग. शासन से अनुमोदन प्राप्त किये बिना सामान्य पदोन्नति की प्रक्रिया काल्पनिक वरिष्ठता के आधार पर किया जा रहा है। विद्युत कंपनी प्रबंधन द्वारा दिनांक 16.04.2024 को जारी हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत भूतलक्षी प्रभाव से यानि 24 वर्ष पूर्व 23 जून 2004 से काल्पनिक वरिष्ठता सूची जारी कर असंवैधानिक रूप से सामान्य वर्गो की पदोन्नति की प्रक्रिया दिसम्बर 2024 से प्रारम्भ कर दी गयी है साथ ही वरिष्ठ अनुसूचित जाति व जनजाति कर्मचारी एवं अधिकारी को दरकिनार करते हुए कनिष्ठ सामान्य वर्गों के ही कर्मचारियों एवं अधिकारियों को लाभान्वित किया जा रहा है और पदोन्नति आदेश जारी भी कर दिये गये है, जबकि हाईकोर्ट का आदेश 16.04.2024 की भावी तिथि से प्रभावशील होना था ना कि भूतलक्षी प्रभाव से। माननीय उच्च न्यायलय के 16.04.2024 के आदेश में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि यह आदेश भूतलक्षी प्रभाव से लागू होगा, अत: राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग से भी ऐसे आदेश पारित नही हुए इसलिए राज्य शासन ने अन्य किसी भी विभाग में 2004 से वरिष्ठता को संशोधित नही किया गया, इससे स्पष्ट है कि पावर कंपनी आदेश की गलत व्याख्या कर नियम विरूद्ध वरिष्ठता सूचि को संशोधन कर पदोन्नती आदेश निकाले जा रही हैं जो सर्वथा अनुचित है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश दिनांक 01.05.2023 के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण मौजूदा नियम के अनुसार किये जाने हेतु स्पष्ट आदेश किया गया है।
इस संबंध में उर्जा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा विद्युत कंपनी को दिनांक 03.05.2023 को नियुक्तियों एवं चयन प्रक्रियाओं में आरक्षण के संबंध में निर्देशित किया गया है। लेकिन विद्युत कंपनी प्रबंधन द्वारा शासन के निर्देश, माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट के आदेश का पूर्ण उल्लंघन खुलेआम किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक आबादी अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अधिकारी कर्मचारियों के लिए खेद की बात है कि माननीय मुख्यमंत्री के अधीन विद्युत कपनी में हाईकोर्ट के आदेश का गलत व्याख्या कर खुद की पदोन्नति प्रक्रिया बनाकर केवल सामान्य वर्गों के अधिकारी एवं कर्मचारियों का पदोन्नति किया जा रहा है। इसके साथ ही विभिन्न संवैधानिक मांगों को भी दरकिनार कर कार्यवाही की जा रही है। इससे संघ के पदाधिकारी व सदस्यों के साथ ही छत्तीसगढ़ के समस्त अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग में आक्रोश व्याप्त है।

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