एक ईमानदार अफसर पर षणयंत्र और भूपेश के कुकर्मो की वजह से इस पूरी चांडाल चौकड़ी का हुआ सत्यानाश , 68 सीटो से 34 में हुई ढेर ,

एक ईमानदार अफसर पर षणयंत्र और भूपेश के कुकर्मो की वजह से इस पूरी चांडाल चौकड़ी का हुआ सत्यानाश , 68 सीटो से 34 में हुई ढेर
रायपुर : – शास्त्रों में कहा गया है अपने किये की सजा इंसान इसी जन्म में भोगता है इस महज एक कहावत नही है इसे चरितार्थ किया है छत्तीसगढ़ के पूर्व मुखिया भूपेश ने जिसने पांच सालों में एक ऐसी चांडालों की चौकड़ी बनाई जिसमे पूरी कांग्रेस सरकार निश्तेनाबूत होने की दिशा बढ़ी खामियाजा यह निकला कि पूरी चांडाल चौकड़ी के साथ साथ पूर्ण बहुमत की सरकार ढह गई क्या कोई इसकी समीक्षा करेगा कि आखिर क्या क्या वजहें रही होंगी कि पूर्ण बहुमत और जीत का दंभ भरने वाली कांग्रेस सरकार कैसे ताश की पत्तो की तरह भरभरा के गिर गई जिसमें सत्ता के बाहुबली 9 मंत्रियों को भी हार का सामना करना पड़ा .
कैसे एक ईमानदार अफसर को भूपेश ने बनाया मोहरा : –
भूपेश सरकार जबसे सत्ता में आई तब से वह अवैध धंधे , अवैध व्यापार , कालाबाजारी , हर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए घोटालो में लिप्त हो गई वही जब 2018 के चुनाव में छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस की सरकार गठित हुई तब कांग्रेस सरकार द्वारा जी. पी. सिंह, भापुसे (RR1994) की पदस्थापना एसीबी / ईओडब्ल्यू के प्रमुख के रूप में की गई एवं उन्हें निर्देशित किया कि वे नागरिक आपूर्ति निगम छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित घोटाले में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह एवं उनके परिवार के लोगों को फंसायें तथा भाजपा के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के विरूद्ध भी राजनीतिक द्वेशवश मिथ्या आधारों पर कार्यवाही करें . मामले में साक्ष्य न मिलने की स्थिति में
जी. पी. सिंह द्वारा नई सरकार के मंशानुरूप राजनीतिक द्वेशवश भाजपा सरकार एवं भाजपा संगठन के विरूद्ध मिथ्या / फर्जी कार्यवाही करने से इंकार कर दिया जिसका खामियाजा यह निकला कि श्री सिंह के विरूद्ध सत्ता शासन का दुरुपयोग करते हुए फर्जी आधारों पर 03 आपराधिक प्रकरण कायम किये गये साथ ही विभागीय जांच हेतु आरोपपत्र भी जारी कर दिया गया
आपराधिक प्रकरण मिथ्या आधारों एवं फर्जी गवाही पर आधारित होने के कारण माननीय सक्षम न्यायालय में मामला लंबित है तथा विभागीय जांच में आरोपपत्र जारी होने के उपरांत श्री सिंह द्वारा विभागीय जांच से संबंधित सुसंगत दस्तावेजों की मांग करने पर उन्हें न तो दस्तावेज उपलब्ध कराये गये न ही विभागीय जांच की कार्यवाही आगे बढ़ी है आरोपपत्र के स्टेज पर ही लंबित है
इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को मिथ्या जानकारी प्रेषित कर श्री सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का असंवैधानिक आदेश पारित कराया गया
बताते चले श्री सिंह की छवि एक ईमानदार, निष्ठावान एवं कार्यकुशल अधिकारी के रूप में रही है . चूंकि इनके द्वारा वर्तमान सरकार के दबाव में आकर राजनीतिक द्वेशवश पूर्ववर्ती भाजपा सरकार एवं भाजपा संगठन के पदाधिकारियों के विरुद्ध मिथ्या कार्यवाही करने से इंकार किया गया इसलिये इनके विरूद्ध षडयंत्र पूर्वक आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किये गये एवं विभागीय जांच हेतु आरोपपत्र जारी किये केन्द्र सरकार को मिथ्या तथ्यों के आधार पर प्रस्ताव भेजकर अनिवार्य सेवा निवृत्ति का असंवैधानिक आदेश पारित कराया गया है जो यह बताता है कि कैसे भूपेश ने सत्ता का खौफ और शासन का डर दिखाकर ईमानदार अफसर को भी नही बक्शा नतीजतन आज हालात यह है कि कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार ढेर हो गई .
भूपेश के षणयंत्र का पूरे परिवार पर पड़ा असर : –
सत्ता का घमंड भूपेश सरकार में इज़ कदर हावी था कि भूपेश किसी भी हद तक जाने को तैयार थे एक ईमानदार अफसर को अर्झाने में भूपेश इतने मसगुल हो गए कि उनके पीछे न उन्होंने उनके परिवार का सोचा न समाज का यह सत्ता का गुरुर का खामियाजा जीपी सिंह के परिवार को उठाना पड़ा षणयंत्र भरी इस कार्यवाही के चलते स्वाभिमानी मां और पिताजी दोनों को काफी आघात पहुंचा जिसके कारण वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे अंततः जीपी सिंह के पिताजी की हार्ट अटैक मृत्यु हो गई अब मां की भी इस आघात के चलते स्थिति नाजुक बनी हुई है वही उनकी माँ की अचानक तबियत बिगडने से हॉस्पिटल भर्ती कराया गया है जो आईसीयू में वेन्टीलेटर में है हालत नाजूक बनी हुई हैं श्री जी पी सिंह एवं उनके परिवार के सदस्य हॉस्पिटल में उपस्थित है .
पूरे मामले को गंभीरता से देखा जाए तो सरकार का इस तरह आताताईपन सत्ता का खौफ अधिकारियों को भरना यह किस तरह की तानाशाही रही है शायद इस तानाशाही की परिणीति यही होनी थी कि जनता ने भी एक सिरे से इस तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंका प्रदेश की जनता ने दिखाया कि अहंकार किसी का नही चलता यह जनता जैसे सत्ता के तख्त में बैठाती है वैसे ही इस तख्त से उतार भी फेंकती है