तत्कालीन सरकार के समस्त लोक अभियोजकों को हटाने का और विशेष लोक अभियोजकों की पुनर्नियुक्ति के लिए नई सरकार का ध्यानाकर्षण ,

तत्कालीन सरकार के समस्त लोक अभियोजकों को हटाने का और विशेष लोक अभियोजकों की पुनर्नियुक्ति के लिए नई सरकार का ध्यानाकर्षण ,
रायपुर : – छत्तीसगढ़ में जैसे ही सरकार बदली है वैसे की तत्कालीन सरकार के समस्त लोक अभियोजकों को तत्काल हटाने एवं विशेष लोक अभियोजकों की पुनर्नियुक्ति को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है नियमतः सरकार बदलते के बाद यह सतत प्रक्रिया है मगर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण को लगभग सप्ताह भर होने को है मगर इस ओर शासन का ध्यान नही है
लोक अभियोजकों का कार्य राज्य का प्रतिनिधित्व करना है न कि पुलिस का : –
पूर्ववर्ती सरकार में माननीय उच्चतम न्यायालय ने अनेकों ऐसे दृष्टांतो के माध्यम से स्पष्ट भी किया कि ” लोक अभियोजक का कार्य राज्य का प्रतिनिधित्व करना है न कि पुलिस का चूंकि एक लोक अभियोजक राज्य सरकार महत्वपूर्ण अधिकारी होता है जो दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के तहत राज्य द्वारा नियुक्त किया जाता है जो जांच एजेंसी का हिस्सा नही होता यह एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकारी है मगर इन लोक अभियोजकों द्वारा सारे नियम कायदों को ताक में रखते हुए अपने राजनीतिक आकाओं के उद्देश्य पूर्ति के लिए जांच एजेंसियों द्वारा गढ़े हुए साक्ष्यों के आधार पर निर्दोष लोगों को दंडित करने की लालसा के लिए आतुर रहे है .
राजनीतिक द्वेष , झूठी दलीलों के लिए नामी गिरामी सीनियर वकीलों की नियुक्ति ,
राजनीतिक द्वेष से प्रेरित मुकदमो के लिए राज्य सरकार ने करोड़ो रूपये झूठी दलीलें देने वाले नामी गिरामी और सीनियर अधिवक्ताओं पर लुटा दिया यह अधिवक्ता अपने एक एक दलील के लिए लाखों की डिमांड रखते थे प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई को इन अधिवक्ताओं पर लुटाना कितना सार्थक था जबकि तत्कालीन सरकार कि यह अपनी अहम की लड़ाई थी जिसे सुनियोजित तरीके से अंजाम देने के लिए सीनियर और विशेष अधिवक्ताओं को हायर किया गया था
एक तरफ भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबी सरकार ने पहले ही जनता के जेब मे डाका डाला और अपने भ्रष्ट काले कृत्यों को दबाने के लिए छत्तीसगढ़ के बाहर से दिल्ली मुम्बई से बड़े बड़े अधिवक्ताओं को नियुक्त कर करोड़ो का चढ़ावा भी चढ़ाया निश्चित ही यह जांच विषय है कि आखिर किस प्रयोजन के लिए इनकी नियुक्तियां की गई .