दीपक ने लोक सेवा केन्द्र शुरू कर ग्रामीणों को सेवाएं देने सहित स्वयं को बनाया आत्मनिर्भर

जगदलपुर। जिले के बकावंड ब्लॉक अंतर्गत बड़े जिराखाल निवासी दीपक पाण्डेय मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजनांतर्गत लाभान्वित होकर क्षेत्र के ग्रामीणों को लोक सेवा केन्द्र एवं मोबाइल दुकान के जरिए विभिन्न सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं। अपनी लोक सेवा केंद्र के माध्यम से दीपक गत तीन वर्ष में अच्छी आमदनी अर्जित करने सहित अपनी बैंक ऋण राशि भी लगभग अदा कर चुके हैं। दीपक का गांव जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर और तहसील से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दीपक बताते हैं कि परिवार में माता-पिता एवं भैया-भाभी और मेरी स्वयं की पत्नी सहित कुल 10 सदस्य हैं, परिवार के सभी सदस्यों के लिए 9 एकड़ की कृषि भूमि पर्याप्त थी, किन्तु बहुत बड़ा परिवार होने की स्थिति में अपना जीवन-निर्वाह करने के लिए अतिरिक्त आय की जरूरत हो रही थी।
दीपक ने बताया कि 10 वीं तक पढ़ाई करने के बाद पढऩे की रूचि थी, किन्तु बढ़ती उम्र और पारीवारिक आर्थिक स्थिति ने मेरे पढऩे की रूचि धीरे-धीरे खत्म होते देर नहीं लगी और गांव के वातावरण में मेरी दोस्ती कुछ ऐसे हम उम्र वाले लड़को से हुई थी कि मैं 10 वीं से आगे नहीं पढ़ पाया। स्कूल छोडऩे के 5 वर्ष बाद मेरी शादी कर दी गई, परंतु 9 एकड़ कृषि भूमि की सीमित आय और मेरी बेरोजगारी घर वालों की नजर में मैं नाकाबिल और बेकार था। गांव-समाज में भी मेरी इज्जत और सम्मान का दृष्टिकोण वही था जो कि घर वालों की थी, ऐसी स्थिति में मुझे मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के सम्बंध में जानकारी मिली और मैं तथा दो मित्र ने साथ योजना की जानकारी लेने जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र जगदलपुर में गये। यहां पर अधिकारियों द्वारा योजना के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया और मुझे इस योजना के अंतर्गत ष्लोक सेवा केन्द्र प्रारंभ करने की इच्छा जागृत हुई। चूंकि मेरा घर गांव के मेनरोड पर है और गांव में लोक सेवा केन्द्र (च्वाईस सेंटर) नहीं था, लोगों को 20 किलोमीटर ब्लॉक मुख्यालय बकावण्ड आना पड़ता था। अब ये समस्या से लोगों को राहत दिलाने के लिए लोक सेवा केन्द्र खोलने हेतु 3 लाख 60 हजार रुपए की सहायता के लिए जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र जगदलपुर में आवश्यक दस्तावेजों सहित आवेदन जमा किया। दीपक ने बताया कि मुझे उक्ति योजनांतर्गत दिसम्बर 2021 में पंजाब नेशनल बैंक जैबेल द्वारा 03 लाख 60 हजार रुपये की ऋण राशि स्वीकृति उपरांत वितरित किया गया। इसके पश्चात स्वयं के घर के सामने का कमरा को दुकान का रूप देते हुए लोक सेवा केन्द्र खोला। इस ईलाके के लोगों को अच्छी सेवाएं देने के फलस्वरूप उसे आय भी उम्मीद के मुताबिक होने लगी। दीपक कहते हैं कि दुकान चलाते हुए लगभग तीन साल हो गये, मेरी ऋण राशि 40-50 हजार रुपये शेष रह गई है। रोजाना दुकान से लगभग तीन से पांच सौ रुपए की आमदनी होती है। आज मेरी पारिवारिक आर्थिक स्थिति काफी अच्छी हो गई है। घरवाले एवं गांव-समाज में सम्मान मिल रहा है। पुराने घर की मरम्मत करने के साथ ही एक मोटर सायकल भी खरीद लिया अब मैं अपने परिवार के साथ बहुत खुश हूं।

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