फर्जी मार्कशीट में नौकरी करने वाले समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक पर अपराध पंजीबध्द , फर्जी मार्कसीट के सहारे मिला आउट ऑफ टर्न प्रमोशन , करोडो के घालमेल का लगा आरोप : –
रायपुर : – अविभाजित मध्यप्रदेश से अलग होकर जब छत्तीसगढ़ राज्य बना तब हजारों की संख्या में बाहरी मूल के निवासी छत्तीसगढ़ राज्य में फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे बड़े बड़े पदों में आसीन हो गए . मामले में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय फर्जी मार्कशीट में नौकरी करने वालो पर जांच की कार्रवाहिया शुरू हुई जिसमे पाया गया कि राज्य में लगभग 400 से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी फर्जी अंकसूची एवं फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे है . उक्त मामले में जांच के आधार पर फर्जी मार्कशीट पर नौकरी करने वालो पर जांच के साथ कार्रवाही होना शुरू हुई जांच चल ही रही थी कि प्रदेश में भाजपा की सत्ता बदल गई और कांग्रेस की भुपेश सरकार आ गई . सरकार बदली तो कार्रवाही भी ठंडे बस्ते में चली गई और भुपेश के शासन के पांच वर्ष फर्जी अंकसूची जाति सम्बंधी मामले में लीपापोती का खेल शुरू हुआ और कार्रवाहिया रुक गई .
2023 में पुनः जब भाजपा सत्ता में आई तो मामले की जांच एक बार फिर शुरू हुई और फर्जी मार्कशीट के खेल का पर्दा फांस होना शुरू हुआ है .
फर्जी मार्कशीट में नौकरी करने वाले समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक पर अपराध पंजीबध्द : –
इसी कड़ी में फर्जी मार्कशीट के आधार पर नौकरी करने वाले समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद अपर संचालक पंकज कुमार वर्मा पर आईपीसी की धारा 420, 468, 471 के तहत अपराध दर्ज किया गया है . इस मामले में अपर संचालक पंकज कुमार वर्मा की शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच की गई . थाना पुरानी बस्ती द्वारा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड रूरल टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश से पत्राचार किया गया परन्तु उक्त संस्था द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई . अब कोर्ट के आदेश पर धारा 420, 468, 471 के तहत पुरानी बस्ती पुलिस ने अपराध पंजीबध्द कर मामले की विवेचना में जुट गई है .
आउट आफ टर्न प्रमोशन लेने वाले अपर संचालक पर करोड़ो के घोटाले का आरोप : –
अपर संचालक अपनी फर्जी मार्कशीट और अंकसूची के सहारे कई बार आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पा चुके है जिनपर पदस्थ अवधि में करोड़ो के घोटाले करने का आरोप लगा है . शासन की आंखों में धूल झोंककर पहले तो इस अधिकारी ने फर्जी नौकरी हासिल की और उसी फर्जी मार्कसीट के सहारे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन भी प्राप्त किया है उक्त मामले में यह भी ध्यानाकर्षण करने योग्य है कि आखिर बिना दस्तावेजी जांच और बिना प्रमाणिकता के आखिर किसकी सह पर प्रमोशन किया गया . सूत्र बताते है उक्त घोटाले की रकम से उच्चाधिकारियों समेत जांच को भी कई बार गुमराह किया गया है अब जब न्यायालय ने मामले में अपराध पंजीबद्ध करने का आदेश दे दिया है तो उन उच्चाधिकारियों की भी जांच की जानी चाहिए जिन्होंने बिना परीक्षण के आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया और इसके लिए घोटाले की कितनी राशि उन्हें प्राप्त हुई है .
विस्तृत जांच हुई तो ऐसे कई उच्च पद पर आसीन लोगो पर गिरेगी गाज : –
बताते चले कि यह महज एक व्यक्ति की बात नही है अगर मामले में विस्तृत और सूक्ष्मता से जांच हुई तो ऐसे कई उच्च पद पर आसीन अधिकारियों पर गाज गिर जाएगी जो फर्जी मार्कशीट के सहारे नौकरी भी कर रहे है और प्रमोशन भी प्राप्त कर चुके है . मामले में प्रदेश की सरकार को चाहिए कि ऐसे गंभीर मामले में विस्तृत जांच के लिए एक टीम बनाये और अविभाजित मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद के लोगो की छानबीन की जाए तो निश्चित ही जो खुलासे होंगे वह चौकाने वाले होंगे
फर्जी दिव्यांग और श्रवनसुरता का लाभ ले रहे कई कर्मचारी : –
दिव्यांगों के बढ़ावा और उनके रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दिव्यांगों के लिए सीट आरक्षित की है शासन की मंशा है के इतर इस सीट पर भी फर्जी दिव्यांग लोगो की भरमार है सबसे ज्यादा इसमें श्रवनसुरताओ की भीड़ है जो खुद को बहरा बताकर फर्जी नौकरी कर दिव्यांगों की आरक्षित सीट हड़पकर बैठे है शासन को चाहिए कि इस मामले में भी विस्तृत छानबीन की जाए तो यह स्पष्ट होगा कि कितने दिव्यांग आरक्षित सीटों पर फर्जी दिव्यांग नौकरी कर रहे है .