कोरबा लोकसभा – आंतरिक गुटबाजी में घिरी भाजपा , दुर्ग लोकसभा से आई कार्यकर्ताओ की टीम स्थानीय कार्यकर्ताओ की हो रही उपेक्षा ,
नेता प्रतिपक्ष ने लगाए आरोप –
कोरबा : – छत्तीसगढ़ 2023 विधानसभा चुनाव में जनाधार से साथ सत्ता में काबिज हुई भाजपा के चार महीने में ही आंतरिक गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी है बताते चले की कोरबा लोकसभा से भाजपा की प्रत्यासी सरोज पांडेय इन दिनों बस में बैठकर प्रचार कर रही है बस में प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री समेत तमाम बड़े नेताओं और स्थानीय विधायको की फ़ोटो लगी है छत्तीसगढ़ में दो डिप्टी सीएम है जिसमें अरुण साव की तस्वीर तो लगी है मगर डिप्टी सीएम विजय शर्मा की फ़ोटो नही लगाई गई है इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत से तंज कसते हुए कहा कि भाजपा में आंतरिक गुटबाजी साफ नजर आ रही है जबकिं नियमतः जब एक डिप्टी सीएम की फ़ोटो है तो दूसरे डिप्टी सीएम की फ़ोटो भी लगाए जाने की सलाह दी है . यह बात आमजन में भी अब खटकने लगी है और इस बात को लेकर चौक चौराहों में भी चर्चाएं शुरू हो गई है .
कोरबा में दुर्ग लोकसभा बुलाई गई टीम स्थानीय कार्यकर्ताओ की उपेक्षा : –
कोरबा लोकसभा में चुनाव प्रचार – प्रसार और चुनावी कार्यो के लिए सरोज पांडेय की दुर्ग लोकसभा की पूरी टीम इन दिनों कोरबा लोकसभा में उतर गई है दुर्ग से आई कार्यकर्ताओ की टीम से स्थानीय कार्यकर्ता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है यह कार्यकर्ता बता रहे है हमे जो जवाबदेही मिलनी चाहिए थी वह नही मिली है चुनाव का सारा कार्यभार दुर्ग लोकसभा से आये कार्यकर्ता ही संभाल रहे है ऐसे में स्थानीय कार्यकर्ताओ की उपेक्षा की जा रही है यह चर्चाएं चल ही रही थी कि नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि गुटबाजी के कारण ही सरोज पांडेय को दुर्ग से लोगो को बुलाना पड़ रहा है अगर यह गुटबाजी नही होती तो कोरबा लोकसभा के कार्यकर्ताओं से कार्य करवाया जाता न कि बाहरी कार्यकर्ताओ से . वही गुटबाजी के कारण ही सरोज पांडेय को कोरबा लोकसभा का प्रत्यासी बनाया गया है .
मंचो में भी अन्य दलों से आये लोगो को सत्कार : –
सरोज पांडेय की कार्यक्रमो में भी मंचो और प्रत्यासी के इर्द गिर्द सिर्फ अन्य दलों से आये कार्यकर्ता ही नजर आते है स्थानीय और भाजपा के पुराने वरिष्ठ कार्यकर्ताओ को कही पर भी तरजीह नही दी जा रही है . यह बात हम नही कह रहे है दरअसल यह आरोप भाजपा के ही पुराने लोग लगा रहे है और कार्यकर्ता कही न कही इस पीड़ा को झेल भी रहे है ऐसे में यह पीड़ा बढ़ती गई और स्थानीय कार्यकर्ताओ को तवज्जो नही दिया गया तो इसका खामियाजा कही न कही भाजपा को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है जबकि कोरबा लोकसभा आदिवासी बाहुल्य है जहाँ के अपने स्थानीय मुद्दे है अपनी समस्याएं है जो स्थानीय लोग ही बेहतर समझा बोल बता पाएंगे मगर बाहरी कार्यकर्ताओ के सामने स्थानीय कार्यकर्ता चुप्पी साध लिए है यह चुप्पी मतदान के दिन ही टूटेगी और चुनावी परिणाम बताएंगे कि स्थानीय कार्यकर्ताओ की उपेक्षा भाजपा को कितनी भारी पड़ती है .