भाजपा ने खोला पत्ता , सत्तादल को मिला नया जिलाध्यक्ष , जोगी के गढ़ में जेसीसीजे तलाश रही अपना अस्तित्व ,

भाजपा ने खोला पत्ता , सत्तादल को मिला नया जिलाध्यक्ष , जोगी के गढ़ में जेसीसीजे तलाश रही अपना अस्तित्व ,

सुशांत गौतम

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही  : – आगामी विधानसभा चुनाव की अभी तारीखों की घोषणा नही हुई कि अचानक चुनाव के लगभग तीन महीने पहले भाजपा ने मरवाही से प्रत्यासी की घोषणा कर दी है घोषणा होते हुए सोशल मीडिया में एक तरफ जहाँ बधाइयों का तांता लगा हुआ है तो वही प्रत्यासी के पहचान को लेकर भी जनता असमंजस की स्थिति में है

आपको बता दे मरवाही विधानसभा से भाजपा के लिए प्रणव मरपच्ची के नाम पर पार्टी ने मुहर लगाई है जो वर्तमान में मरवाही के ग्राम पंचायत ऐंठी-धरहर से सरपंच है वही भूतपूर्व सैनिक भी है . निष्पक्ष और पाक छवि के प्रणव पहली बार मरवाही से अपनी दावेदारी पेश करेंगे .
बताते चले मरवाही विधानसभा प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट के रूप में जानी जाती है चूंकि इसी सीट ने ही छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री दिया इतना ही नही भंवर सिंह पोर्ते जैसे कद्दावर नेता भी मरवाही सीट में अपना हाथ आजमा चुके है ऐसी सीट से एक नए चेहरे को टिकट देना कितना सार्थक परिणाम लाता है साथ ही देखना दिलचस्प होगा कि आखिर ऊँठ किस करवट बैठता है क्या सरपंच से विधायक का सफर पूरा करने में प्रणव सफल हो पाएंगे या हमेशा की तरह भाजपा ने फिर वाक ओवर देते हुए इस सीट का मोह छोड़ दिया है .

सत्तादल को मिला जिलाध्यक्ष : –

लंबी अटकलों के बाद आखिरकार चुनाव के समय मे सत्तादल ने एक बड़ा बदलाव करते हुए जिला अध्यक्ष की कमान युवा आयोग के सदस्य उत्तम वासुदेव को सौंपी है मूलतः मरवाही विधानसभा के रहने वाले उत्तम वासुदेव ने इस छोटे से अंचल से निकलकर प्रदेश की राजनीति में अलग ही मुकाम हासिल किया है शायद यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तम वासुदेव पर पार्टी ने भरोषा जताया है चूंकि आगामी तीन माह बाद विधानसभा चुनाव होना है और चुनाव में सबसे महती भूमिका संघठन ही निभाता है ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि संघटन मजबूत हो
यह बात भी कही छुपी हुई नही है कि लंबे समय से सत्ता और संघठन में खींचतान मची हुई थी जिसकी वजह से सत्तादल में खुलेआम गुटबाजी देखने को मिल रही थी अब जब चुनाव सर पर है तब यह बदलाव सत्तादल के लिए कितना कारगर साबित होता है यह देखने वाली बात होगी क्या उत्तम वासुदेव सत्ता और संघठन के बीच तालमेल बैठा पाएंगे या इस गुटबाजी का फायदा भाजपा उठा ले जाएगी

जोगी के गढ़ में जेसीसीजे तलाश रही अपना अस्तित्व :-

अविभाजित मध्यप्रदेश के बाद 2001 में हुए उपचुनाव से लेकर 2018 के आम चुनाव तक मरवाही विधानसभा जोगी परिवार के खाते में दर्ज होती चली आ रही थी ऐसे में यह मरवाही विधानसभा जोगी के गढ़ के नाम से भी जाना जाता है वही स्वर्गीय अजित जोगी के निधन के पश्यात हुए उपचुनाव में स्व. अजित जोगी के पुत्र अमित जोगी का नामांकन जाति मसले को लेकर खारिज कर दिया था जबकिं अमित जोगी वर्ष 2013 में इसी मरवाही सीट से विधायक रह चुके है अविभाजित मध्यप्रदेश के बाद वर्ष 2020 में हुए उपचुनाव में पहला मौका था जब जोगी परिवार चुनावी मैदान में नही रहा चुनावी परिणाम में मरवाही में पदस्थ रहे BMO डॉक्टर के के ध्रुव भारी आकड़ो से जीतकर एक नया कीर्तिमान रच दिया था ढाई साल की विधायकी के बाद अब आम चुनाव होने जा रहा है सवाल यह भी है कि क्या जोगी कांग्रेस से अमित जोगी चुनाव लड़ पाएंगे या नही अगर खुद नही लड़ते तो जेसीसीजे किस पर अपना दाव लगाएगी चूंकि यह आम चुनाव जेसीसीजे का भविष्य भी निर्धारित करेगा देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी के सुप्रीमो अमित जोगी कैसे अपनी नैया पार लगाते है और मरवाही सीट को कैसे बचा पाते है .

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