भाजपा नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने डीजीपी अशोक जुनेजा की सेवावृद्धि को बताया नियमविरुद्ध , जूनियर आईपीएस अफसरों के आगे नतमस्तक डीजीपी जुनेजा , रबर स्टाम्प बनकर रह गया डीजीपी जैसा पद : –

भाजपा नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने डीजीपी अशोक जुनेजा की सेवावृद्धि को बताया नियमविरुद्ध , जूनियर आईपीएस अफसरों के आगे नतमस्तक डीजीपी जुनेजा , रबर स्टाम्प बनकर रह गया डीजीपी जैसा पद : –
रायपुर : – वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन के डीजीपी अशोक जुनेजा है जो बीते साल 30 जून 2023 में सेवानिवृत्त हो चुके है राज्य सरकार ने 11 नवंबर 2021 को तत्कालीन डीजीपी डीएम अवस्थी को हटाकर अशोक जुनेजा को प्रभारी डीजीपी बनाया था. इसके बाद यूपीएससी को डीजीपी के लिए प्रस्तावित नामों का पैनल भेजा गया था. यूपीएससी की अनुशंसा आने में करीब दस महीने लग गए थे. आखिरकार राज्य सरकार की ओर से 5 अगस्त 2022 को यूपीएससी की अनुशंसा का हवाला देते हुए गृह विभाग द्वारा पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति का आदेश जारी किया गया था . जबकिं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक डीजीपी की नियुक्ति दो साल के लिए होती है
सवाल यह उठता है प्रभारी डीजीपी और पूर्णकालिक डीजीपी मिलाकर दो वर्ष से ज्यादा लंबा कार्यकाल होता है मिली जानकारी अनुसार डीजीपी जुनेजा द्वारा तत्कालीन भूपेश सरकार को गुमराह करते हुए इस तरह का आदेश जारी करवाया गया या इसके लिए भूपेश बघेल को मोटी रकम दी गई होगी तब तो इस तरह नियमविरुद्ध आदेश जारी किया गया जबकिं इस तरह आदेश के लिए MHA गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी थी मगर नियमो को ताक में रखकर इस तरह का आदेश जारी करवाया गया .
मामले में वरिष्ठ भाजपा नेता विधिक सेवा के जानकार नरेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि डीजीपी अशोक जुनेजा जिनकी सेवावृद्वि नियमविरुद्ध तरीके से की गई जिसकी शिकायत भारत सरकार , इलेक्शन कमीशन से की गई थी जबकिं 15 नवम्बर तक इसपर CEO कार्यालय द्वारा कोई भी निर्णय नही लिया गया था और शिकायत को पेंडिंग में डाल दिया गया
ईडी की जांच में भी डीजीपी अशोक जुनेजा की भूमिका संदिग्ध : –
ईडी की जांच दौरान दिनांक 10.12.2022 को प्रेस रिलीज करते हुए यह बताया कि अशोक जुनेजा के डीजीपी पदस्थ हुए दो वर्षों में 500 करोड़ से ज्यादा की राशि कलेक्ट की गई अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस मुख्यालय के प्रमुख के बिना पुलिस प्रशासन में एक पत्ता भी नही डोलता फिर इतनी बड़ी राशि का हेरफेर कैसे संभव है जाहिर सी बात है इस पूरे रैकेट में डीजीपी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है . हालांकि डीजीपी अपने जूनियर आईपीएस अफसरों के आगे चु से चा नही करते थे उन्हें हाई कमान से आदेश मिला था आरिफ शेख , अभिषेक माहेश्वरी , आनंद छाबड़ा जैसा चाहते है सिर्फ वही कार्यवाही या फैसले पूरे राज्य में लिए जाएंगे .
आरिफ शेख अपने एक चैट्स में इस बात का उल्लेख किया था कि कैसे वह अमेरिका ( US ) से जिले को नियंत्रित करने के भरकस प्रयास में लगे है मगर तत्कालीन डीजीपी डी.एम.अवस्थी आरिफ के खिलाफ साजिश रच रहे है और आरिफ को नुकसान पहुँचाने और अस्थिर करने के लिए चौबीस घण्टे कार्य कर रहे है
जिसपर यश टुटेजा आरिफ को आश्वाशन देता है आप निश्चिंत रहे डीजीपी से आपको कोई नुकसान नही होगा .

डीजीपी अशोक जुनेजा सिर्फ रबर स्टाम्प : –
भले ही डीजीपी जैसे पद पर अशोक जुनेजा बैठे हो मगर वह सिर्फ रबर स्टाम्प की भूमिका अदा कर रहे थे सारे फैसले हाईकमान सौम्या चौरसिया जो वर्तमान में जेल में है उनके इशारों पर होता था सौम्या के विश्वसनीय चंद आईपीएस अफसर भी इसमें शामिल थे जिनकी कुंडली पहले ही जनसंवाद में लिखी जा चुकी है यह आईपीएस जिसमे आरिफ शेख , आनंद छाबड़ा अभिषेक माहेश्वरी , मिलकर पूरे पुलिस महकमे को संचालित करते थे कांस्टेबल से लेकर आईपीएस तक कि ट्रांसफर पोस्टिंग के खेल में सौम्या और यह आईपीएस अफसर अपने हिसाब से करते थे . शायद यही कारण था कि जुनेजा द्वारा जब नियमविरुद्ध और गुमराह करने वाले अनुशंसा पर राज्य सरकार ने भी आपत्ति नही जताई ।

उल्लेखनीय है कि डीजीपी अशोक जुनेजा , आईपीएस आरिफ शेख , आनंद छाबड़ा , अभिषेक माहेश्वरी , सौम्या चौरसिया मिलकर राज्य में हो रहे घोटालों का एक रैकेट संचालित कर रहे थे जिसमें कोल घोटाला , शराब घोटाला , महादेव गेमिंग एप्प जैसे बड़े बड़े घोटाले शामिल है यह जूनियर अफसरो ने मिलकर सीनियर अफसर को डीजीपी बनवाया और उनके संरक्षण में राज्य में तमाम घोटालों को अंजाम दिया गया . डीजीपी जुनेजा को सौम्या का आदेश था कि इन जूनियर आईपीएस लोगो को संरक्षण देना है और आंख , कान बंद करके सिर्फ इंस्ट्रक्शन फॉलो करना है . राज्य की पूरी पुलिस प्रशासन इन चंद आईपीएस अफसरों के इशारों में ही चलती रही है .
भूपेश शासन काल मे प्रशासनिक पद्धिति को इस तरह से विकसित किया गया था जिसमे कनिष्ठ अफसरों को बडे बडे ओहदों का चार्ज दिया गया और और ओहदा देने के बाद उन कनिष्ठ अफसरों से बड़े बड़े घोटाले करवाए गए यह कनिष्ठ अफसर ही अपने पसंद के उच्चाधिकारियों की लाते थे जिसमें अभिषेक माहेश्वरी की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती थी .