बिना अधिग्रहण निजी भूमि में सड़क निर्माण का भूमिपूजन , मुख्यमंत्री के गृहजिले में आदिवासियों के साथ छलावा , ग्रामीण उतरे सड़क पर ,
बिना अधिग्रहण निजी भूमि में सड़क निर्माण का भूमिपूजन , मुख्यमंत्री के गृहजिले में आदिवासियों के साथ छलावा , ग्रामीण उतरे सड़क पर ,
जशपुर : – जशपुर जिले के पत्थलगांव तहसील में आने वाला गांव बीरिमडेगा जो पूर्णतः आदिवासी गांव है यहाँ आदिवासियों की निजी जमीनों में लोक निर्माण विभाग ने बिना अधिग्रहण किये है सड़क निर्माण का भूमिपूजन करा दिया जबकिं यह मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का ग्रहजिला है इसके बाद भी लोक निर्माण विभाग अपनी मनमानी करने से बाज नही आ रहा है . इससे आदिवासी अपने आप को छला हुआ सा महसूस कर रहे है .
दरअसल पूरा मामला जशपुर जिले के पत्थलगांव तहसील अंतर्गत आने वाले आदिवासी बाहुल्य गांव के बीरिमडेगा का है जहाँ लोक निर्माण विभाग द्वारा 8 किलोमीटर की सड़क निर्माण होना है उक्त सड़क ग्राम बीरिमडेगा से बगईझरिया होकर काडरो तक जानी है आठ करोड़ की लागत से बन रही इस सड़क में आदिवासी ग्रामीणों की निजी भूमि भी सड़क की जद में आ रही है उक्त ग्रामीणों की निजी भूमि को चिन्हांकित नही किया गया और बिना अधिग्रहण मुआवजा जारी किए ग्रामीणों की निजी भूमि का भूमि पूजन करा दिया गया . मामले की जानकारी होते ही ग्रामीण सड़को में उतर आये और लोक निर्माण विभाग की इस करतूत का जमकर विरोध किये .
जिम्मेदार अधिकारी कुम्भकर्णीय नींद में : –
उक्त मामले में लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधते हुए ग्रामीणों को धोखे में रखकर भूमिपूजन कराने में लगे है जबकि ग्रामीणों ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों को ध्यानाकर्षण कराया मगर कुम्भकर्णीय नींद में सोए लोक निर्माण के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नही दिया . जबकि सड़क निर्माण के पहले विभाग को भूअर्जन की प्रक्रिया को पूरा करना था मगर विभाग आदिवासियों की जमीनों को हड़पने में लगा हुआ है यह हालात तब है जब प्रदेश में आदिवासी समाज से आने वाले मुख्यमंत्री विष्णु देव साय है और उनके ही गृहजिले में यह मंजर बताता है कि आदिवासियों का किस तरह खुलेआम शोषण हो रहा है .
ग्रामीणों के विरोध के बाद सरपंच मौके से गायब : –
भूमिपूजन में गांव बीरिमडेगा की सरपंच मालती नाग भी पहुँची ग्रामीणों ने सरपंच को उक्त स्थल पर देख जमकर नाराजगी जाहिर की ग्रामीणों के विरोध के बाद सरपंच मालती नाग ने कहा उन्हें भूमि पुजन की जानकारी नही थी और पल्ला झाड़ते हुए उक्त स्थल से निकल गई .
दरअसल मालती नाग सरपंच तो है मगर ग्रामीण क्षेत्रो में चल रही प्रथा की वजह से मालती नाग महज स्टॉप रबर की भूमिका अदा करती है जिसका पूरा काम सरपंच पति द्वारा किया जाता है मालती नाग सिर्फ कागजो में अंगूठा लगाती है इस तरह सरपंच पति को विभाग और ठेकेदारों ने मिलकर अपने पाले में कर आदिवासी की जमीनों को हड़पने की साजिश रची है .
गुरुजी बना सरपंच पति : –
मालती नाग के पति सरकारी नौकरी में पदस्थ है जो लैलूंगा विकासखण्ड के बहमा गांव में स्कूल शिक्षक है जिनका नाम एतबल नाग है जिनके द्वारा शिक्षकीय कार्य छोड़ सरपंच पति के कार्य मे लगे हुए है . इनके द्वारा निर्माण कार्यों में प्रमाण पत्र कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र के नाम पर वसूली का कार्य भी किया जाता है . मामले में ग्रामीणों ने बताया कि जब से मालती नाग सरपंच बनी है पूरे कार्यकाल में एक बार भी ग्रामसभा की बैठक नही बुलाई गई . जो गंभीर और चिंतनीय विषय है .
चोरी छुपे भूमिपूजन : –
भूमिपूजन के इस कार्यक्रम में न तो ग्रामीणों को बुलाया गया न ही जनप्रतिनिधि को इसकी सूचना दी गई बिना किसी के जानकारी के गोपनीय तरीके से भूमिपूजन का यह कार्यक्रम भी कई सवालों को जन्म देता है न तो क्षेत्रीय संसद को इसकी सूचना मिली न विधायक को बुलाया गया आखिर इस तरह विभाग चोरी छुपे क्यो भूमिपूजन कराने में लगा हुआ है जबकि पूरे देश मे अचार सहिंता प्रभावशील हो चुकी है जब कोई नए कार्य का भूमिपूजन नही हो सकता ऐसे में आचार सहिंता का उलग्घन करते हुए इस तरह भूमिपूजन किसकी सह पर और क्यो कराया गया यह जांच का विषय है .
उक्त गंभीर मामले में ग्रामीण काफी आक्रोशित है ग्रामीणों ने आदिवासी समाज से आने वाले मुख्यमंत्री साय सरकार से गुहार लगाई है कि आदिवासी ग्रामीणों की जमीन का भूअर्जन कर ग्रामीणों की मुवावजा राशि जारी की जाए उसके बाद भूमिपूजन का कार्य शुरू होना चाहिए अधिकारियों की इस कारगुज़रियो से कही न कही सरकार की छवि धूमिल हो रही है जल्द ही इस मामले में निराकरण नही किया गया तो इसका परिणाम सरकार को लोकसभा चुनाव में भी उठाना पड़ सकता है .