बगुला भगत और मसकामार मूषक “हाऊस” में मचा रहे धमाल, भाजपाई हलकान ,

बगुला भगत और मसकामार मूषक “हाऊस” में मचा रहे धमाल, भाजपाई हलकान

रायपर : – बगुला भगत और मसकामार मूषक इन दिनों सत्ता पर कुंडली मारकर बैठे हैं . प्रदेश के पालनकर्ता के अंदरखाने में वरिष्ठ भाजपाई को भी फटकने नही दिया जाता। इस जुगल जोड़ी की करतूतों से पुराने और वरिष्ठ भाजपाई अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं । पांच साल के वनवासकाल में भाजपा कार्यकर्ता ने जो संघर्ष किया उनकी मेहनत को पूरी तरीके से दरकिनार करते हुए प्रदेश के पालनकर्ता इन दोनों की करतूत पर जिस तरह से आंखें मूंदे बैठे हैं वह संगठन के लोगों के लिए बहुत ही पीड़ादायक है। भाजपा के कार्यकर्ता बहुत मायूस होकर घुम रहे है और चर्चा में अक्सर कहतें हैं कि उन्हें अपनी सरकार आने के बाद से उनकी पूछ परख ही खत्म हो गई है। बगुला भगत एवं आई.टी. क्रांति के मसकामार मूषक की जुगलबंदी की चर्चा संगठन में जोर-शोर से चल रही है।

हालात यह है कि प्रदेश के पालनकर्ता के दरबार में कुंडली मारकर बैठे बगुला भगत पालनकर्ता को कार्यकर्ताओं से पूर्ण रूप से विमुक्त कर दिया है। जहाँ सिर्फ प्रदेश के पुराने मुखिया और उनके करीबियों को साधने की जुगत बड़ी शिद्दत से की जा रही है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि आज भी वही अधिकारी मलाईदार जगहों में बैठकर सरकार की बखिया उधेड़ रहे है। बलौदाबाजार और कवर्धा में हुई घटनाएं इस बात की प्रमाण है।

प्रदेश में हो रही गतिविधियों से कार्यकर्ता ही नही संघ में भी खासा नाराजगी है जिसके लिए बगुला भगत ने नए पैतरे खेलते हुए आईटी क्रांति के मसकामार मूषक को अपने पाले में ले लिया है। इतना ही नही इस मसकामार को हाउस में बैक डोर से एंट्री कराते हुए एक भव्य कमरा भी एलाट कर दिया है और साथ ही यह आश्वाशन दिया गया है कि जल्दी ही उन्हें पालनहार का सलाहकर्ता बना दिया जाएगा।
इसी की बानगी थी कि बगुला भगत द्वारा अपना जलवा दिखाने के लिये प्रदेश के पालनहार को मसकामार के घर पर भोजन के लिये भी ले जाया गया था।

बगुला भगत अपनी शातिराना चाल चलते हुए मसकामार का दखल हाऊस में बढ़ाता जा रहा है, जहाँ अंदर ही अंदर लंबी बैठके लक्ष्मी बरसात की जुगाड़ बनाई जा रही है। अब इस जुगलबंदी की चर्चा पूरे प्रदेश में होने लगी है। जहाँ सत्ता को बगुला भगत और संघ को मसकामार अपने हिसाब से चला रहे है। जहाँ बात नही बनती वहाँ यह मूषक आईटी क्रांति के जरिये भ्रामकता फैलाता है। बगुला भगत के इशारे पर उक्त भ्रामक प्रचार आई.टी. सेल के सहारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुचाया जाता है। पालनकर्ता के कर्मचारी समेत संघ भी इस जुगलबंदी से अत्यधिक भयभीत है वजह है कि आई.टी. सेल में भ्रामक प्रचार का सहारा लेकर किसी का भी चरित्रहनन किया जा सकता है, जिससे उसे पलभर में बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

बगुला भगत एवं मसकामार मूषक द्वारा हर सरकारी तंत्र में लूट का खुला खेल खेला जा रहा है। लूट के इस कारोबार को अंजाम देने के लिये कोठारी नामक एक और कार्यकर्ता का सहयोग भी लिया जाता है। इस बात की चर्चा सरकारी नुमाइंदे दबी जुबान में कर रहे है।

पूर्ववर्ती सरकार के दौरान मुखिया द्वारा भ्रष्टाचार के नए-नए किर्तीमान स्थापित किये गये थे। वहीं वर्तमान सरकार में बैठे अधिकारी बगुला भगत के आर्शीवाद से उक्त कीर्तिमान को और अधिक ऊंचाई तक पहुँचाने की जद्दोजहद में लगे हुए है। बगुला भगत के प्रश्रय से पुलिस विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग को उद्योग का दर्जा प्राप्त हो चुका है शायद यही कारण है कि अब तक पुलिस महकमे में तबादला नही किया गया है . इसके साथ ही अगर संघ संघटन अगर किसी कर्मचारी के लिए पैरवी डीजीपी को भेजी जाती है तो डीजीपी का भी दो टूक जवाब होता है बगुला भगत ही सबका पालनहार है . विडंबना यहाँ तक पहुँच गई है कि गृह मंत्रालय का फाइल भी इस बगुला भगत के इशारे के बिना टस से मस तक नही होती बगुला भगत की हरी झंडी के बिना कोई भी कार्य नही किया जाता है . बताते है कि यह बगुला भगत की पॉवर पूर्ववर्ती सरकार में सुपर सीएम से भी ज्यादा है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि बगुला भगत द्वारा प्रदेश के पालनहार को अनेकों विषयों पर अंधेरे में रखकर स्वयं हित के कार्यो को अंजाम दिया जा रहा है . पकड़े जाने पर संगठन का नाम लगाकर मसकामार को प्रमाणिकता के लिये पेश कर दिया जाता है . इनकी जुगलबंदी से प्रदेश का प्रत्येक कार्यकर्ता अत्यधिक प्रभावित है। बगुला भगत एवं मसकामार की रैकेट ने आम जनता की आंखों में भाजपा संगठन के प्रभाव को गौण कर दिया है जिसका परिणाम आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में परिलक्षित होगा। बगुला भगत की उक्त षडयंत्रकारी रणनीति से अगर पालनकर्ता जल्दी ही निजात नही पाते तो यह चोंच लिए घुम रहे बगुला भगत पूरे प्रदेश को चारागाह समझकर चर डालेगा।

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