रायपुर। छत्तीसगढिय़ा मूल के बेटे पाटन के मेजर जनरल सुधीर शर्मा ने सेना में सेवा देते हुए अपनी एक और बड़ी उपलब्धि से राष्ट्र के साथ राज्य का नाम भी रोशन किया है। उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में बनाई जा रही 35000 एके 203 असॉल्ट राइफलें (शेर) सीमावर्ती इलाकों में भारतीय सेना के जवानों के हाथों में पहुंच गई हैं। दिसंबर 2024 तक सेना को 20000 और राइफलें मिलेंगी।
मेजर जनरल सुधीर शर्मा को एक गहन चयन प्रक्रिया के बाद अगस्त 2023 से भारत सरकार द्वारा इंडो रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ और एमडी के रूप में नियुक्त किया गया है। यह रक्षा मंत्रालय के तहत एक संवेदनशील और रणनीतिक परियोजना है। इस कंपनी के पास रूस की कलाश्निकोव कंपनी से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ भारत में 601427 एके 203 राइफल बनाने का ऑर्डर है। एके 203 का उत्पादन संयंत्र अमेठी में है। स्वदेशीकरण की सावधानीपूर्वक प्रक्रिया के बाद अगले एक साल के भीतर राइफलें 100 प्रतिशत भारत में बनाई जाएंगी। इसके बाद फैक्ट्री हर दिन 600 से ज्यादा राइफलें बनाने में सक्षम होगी। ये राइफलें भारत में होमलैंड सिक्योरिटी और राज्य पुलिस बलों को भी बेची जाएंगी। इन्हें मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत मित्र विदेशी देशों में भी निर्यात किया जाएगा।
मेजर जनरल सुधीर शर्मा के नेतृत्व और मार्गदर्शन में आईआरआरपीएल द्वारा बनाई गई एके 203 दुनिया की सर्वश्रेष्ठ असॉल्ट राइफलों में से एक होगी। 800 मीटर की रेंज और 700 राउंड प्रति मिनट की फायरिंग दर के साथ, यह आतंकवाद विरोधी और पारंपरिक ऑपरेशन दोनों में हमारी सेना के जवानों के लिए एक घातक हथियार होगा।
बता दें कि मेजर जनरल सुधीर शर्मा पाटन (छत्तीसगढ़) के रहने वाले हैं और उनके माता-पिता दुर्ग के बोरसी में रहते हैं। वह पिछले 36 वर्षों से सेना में हैं और उनके पास आतंकवाद विरोधी अभियानों, मानव प्रबंधन, कूटनीति और परियोजना प्रबंधन का व्यापक अनुभव है।
मेजर जनरल सुधीर शर्मा के मार्गदर्शन में बनाई गई एके 203 असॉल्ट राइफलें सीमा पर भारतीय सेना के जवानों तक पहुंचीं
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