पुराने संबधो का हवाला देकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना रहे सलाहकार प्रदीप शर्मा ,
आंतरिक फूट में सुलह की गुंजाइश नही लेकिन जोगी गुटों को साधने की जोर आजमाइश ,
कोटा : – सियासत में शाम दाम दंड भेद चारो नीतियों के तहत चुनाव लड़ा जाता है . जिसमे भेदने की नीति का जिम्मा प्रदीप शर्मा ने उठाया है जो इन दिनों छ.ज.का यानि जोगी गुट को साधने में लगे हुए है और जोगी कांग्रेस के लोगो के घर-घर जाकर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की अपील कर रहे है आपको बता दे प्रदीप शर्मा सीएम सलाहकार है जो चुनाव के दिनों में क्षेत्र में काफी सक्रिय भूमिका निभा रहे है
प्रदीप शर्मा का कोटा विधानसभा के जीपीएम जिले से पुराना नाता रहा है इन्ही सम्बंधो का हवाला देकर अब सियासी रणनीति अपनाई जा रही है और जोगी गुट को भेदने की नीति के तहत कार्य किया जा रहा है . अब यह रणनीति चुनावी समय मे कितना रंग लाती है यह तो भविष्य तय करेगा मगर इससे यह तो साफ परिलक्षित होता है कि कांग्रेस जिसे अपना गढ़ बताती आ रही है वहाँ कांग्रेस बिना छजका की मदद के इस बैतरणी को पार नही लगा पा रही है . जबकिं छजका से कोटा विधानसभा में 2006 से निवर्तमान विधायक श्रीमती रेणु जोगी चुनावी मैदान में है .
आपसी फूट में सुलह की गुंजाइश नही लेकिन छ.ज.का. को साधने की जोर आजमाइश : –
कोटा विधानसभा में दोनों राष्ट्रीय दलों ने क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की मांग की थी मगर दोनों की राष्ट्रीय दलों ने पैराशूट प्रत्यासी दिया जिसको लेकर पार्टी में ही बगावती तेवर देखने को मिल रहे था भाजपा में संवैधानिक सिद्धान्त कहे या आपसी रजामंदी जैसे तैसे पार्टी और कार्यकर्ताओं को समझा लिया बगावत भले अंदरूनी हो मगर खुलकर यह बगावत भाजपा में दिखलाई नही पड़ती है मगर इसके इतर अगर बात करे सत्तादल की तो जैसे ही अटल का नाम आया तब से पार्टी में बगावत के सुर थमने का नाम नही ले रहे है कार्यकर्ता दबी जबान में ही कही न कही अपनी वेदना उगलते ही नजर आते है और बड़े बड़े कार्यक्रमो से खुद ही किनारा करते नजर आ रहे है जिससे नारागजी साफ नजर आती है वही अटल श्रीवास्तव कल से जनसंपर्क में लगे हुए है जहाँ से भी पुराने और वरिष्ठ कांग्रेसी नजर नही आये तो यह बताने के लिए काफी है कि यह बगावत आंतरिक न होकर खुलकर हो रही है .
छजका से आये लोगो की पूछन्त पुराने कांग्रेसियों की बनी पीड़ा , कोटा के जमीनी कार्यकर्ता मरवाही में तलास रहे अपना राजनीतिक भविष्य : –
कोटा में हो रही इस आंतरिक बगावत का एक कारण यह भी है कि जो कांग्रेस के पुराने कर्मठ और निष्ठावान कार्यकर्ताओ को तरजीह नही दी जा रही है पूरे चुनाव में छजका से कांग्रेस में शामिल हुए लोगो को प्रमुख बनाया गया है अटल इन दिनों कोटा विधानसभा के जीपीएम जिले में जनसंपर्क कर रहे है जहाँ अटल जोगी कांग्रेस से कांग्रेस में शामिल हुए लोगो के इर्द गिर्द ही नजर आते है जो कांग्रेसियों के लिए पीड़ा बन गए है प्रत्यासी की घोषणा के बाद अटल ने पहला कार्यकर्ता सम्मेंलन आयोजित किया था जिसमे कट्टर पुराने कांग्रेसियों को सूचना तक नही दी गई नतीजतन वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यक्रम में सम्मिलित नही हुए
अब सत्ता के खिलाफ बगावत करना सार्थक नही है इसलिए कोटा के जमीनी कांग्रेसी कार्यकर्ता अब अपना राजनीतिक भविष्य मरवाही विधानसभा में तलास रहे है कोटा को लेकर इनकी रुचि कही नजर नही आती जिसका खामियाजा कही न कही चुनाव में देखने को मिल सकता है .