उपपंजीयक पर ग्रामीणों ने लगाया अतरिक्त वसूली का आरोप , आये दिन कार्यालय से रहते है नदारत , शासन की मुख्य आय धारा पर सेंध लगा रहे कर्मचारी ,

उपपंजीयक पर ग्रामीणों ने लगाया अतरिक्त वसूली का आरोप , आये दिन कार्यालय से रहते है नदारत , शासन की मुख्य आय धारा पर सेंध लगा रहे कर्मचारी ,

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को अस्तित्व में आये आज लगभग 3 साल पूरे हो चुके है मगर जिले में आज भी रजिस्ट्रियो का कार्य सुचारु रूप से संपादित नही होने से रजिस्ट्रियां प्रभावित हो रही है जिससे दूर दराज से आये ग्रामीणों के लिए परेशानी बढ़ती जा रही है मगर राजस्व के अधिकारी इन सब से बेपरवाह है .

दरअसल जिले में दो पंजीयन कार्यालय में एक ही रजिस्टार है एक ही रजिस्टार के माथे पूरे जिला चल रहा है वही रजिस्टार तीन दिन पेण्ड्रारोड एवं दो दिन मरवाही जाते है वही ग्रामीणों ने बताया कि रजिस्टार आये दिन छुट्टी में रहते है जिसकी वजह से रजिस्ट्री के साथ साथ शाशन को करोड़ो की राजस्व छती पहुँच रही है ।

ऐसा नही है इसकी जानकारी जिला पंजीयक को नही है मगर जिला पंजीयक का इस ओर किसी प्रकार का ध्यान नही है . बात करे ग्राम कोडगार की तो कोडगार आरआई के अंतर्गत दस से ग्यारह गाँवो की रजिस्ट्रियां विगत डेढ़ माह से बंद है जिसपर कई बार ध्यानाकर्षण तो कराया गया मगर उक्त गंभीर मामले में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नजर नही आती है . जिससे पक्षकारो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है .

इतना ही नही ग्रामीणों ने बताया कि उपपंजीयक द्वारा ग्रामीणों से रजिस्ट्री के नाम पर जमकर वसूली की जाती है वही उपपंजीयक द्वारा आधार वगैरह का हवाला देकर कार्य रोका जाता है जबकि नियमतः रजिस्ट्री के लिए किसी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क लेने का प्रावधान नही है । ऐसे अतरिक्त वसूली कर उपपंजीयक द्वारा सरकार के नियमो की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है . वही पक्षकारो से कथित नियमो का हवाला देते हुए 5 हजार से 20 हजार तक कि वसूली की जा रही है . वही पक्षकारो का कहना है कि जिला उपपंजीयक यह कहते है कि यह वसूली की रकम उपर बैठे अधिकारियों को भी जाती है .

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिले गठन के तीन साल बाद भी जिले में जिला पंजीयक की नियुक्ति क्यो नही की जा रही है एक उपपंजीयक के माथे पूरा जिला संचालित हो रहा है वही सवाल यह भी है कि किसी भी कर्मचारी को साल में शासकीय अवकाश को छोड़कर व्यक्तिगत 13 दिनों का अवकाश एवं मेडिकल की नैतिक अवकाश देने का प्रावधान है मगर उपपंजीयक आये दिन अपने कार्यालय से अवकाश के नाम पर नदारत रहते है यह हालात तब है जब जिले में दो अनुभाग के दो अनुविभागीय अधिकारी के साथ जिले के कलेक्टर भी मौजूद है ऐसे में उपपंजीयक की मनमानी इन उच्चाधिकारियो को मुहबाये चिढ़ाती हुई प्रतीत होती है .

इसके साथ ही वकीलों के द्वारा लगाए जा रहे सर्च एवं नकल आवेदन को लगभग 15 से 20 दिनों तक विलंब होने से न्यायलयीन प्रक्रिया में प्रस्तुत होने वाले प्रकरणों में अधिवक्ताओ के साथ साथ न्यायलयीन कार्यवाही विलंब एवं मामले खारिज होने स्तिति में आ गए है या हो गए है

अब देखने वाली बात यह होगी कि ऐसे गंभीर मामले में उक्त कर्मचारी पर क्या कार्यवाही की जाती है या जिले में इसी तरह इन कर्मचारियों की भर्राशाही चलती रहेगी .

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