करोड़ो की लागत से बन रहे पुल पर उठ रहे सवाल , एक इंजीनियर के माथे चल रहा सेतु निर्माण संभाग ,

करोड़ो की लागत से निर्मित पूल चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट , एक इंजीनियर के माथे करोड़ो का कार्य , सेतु निर्माण संभाग का कार्यालय बिलासपुर में उच्चाधिकारियों को नही लगती भनक ,

गौरेला – पेण्ड्रा – मरवाही : – सेतु निर्माण संभाग द्वारा करोड़ो की लागत से निर्मित पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई जिसकी न तो देखरेख की जाती है न ही कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता तब तो इतने बडे पैमाने में गुणवत्ताहीन सामग्री का इस्तमाल करते हुए ठेकेदार अपनी मनमानी कर रहा है .

दरअसल पूरा मामला कोलबिर्रा से बघर्रा मार्ग का है जहाँ करोडो लागत से पुल निर्माण कार्य एम.डी अख्तर ठेका कंपनी द्वारा कराया जा रहा है . जिसपर गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग करते हुए ठेकेदार मनमानी कर रहा है चूंकि सेतु निर्माण से संबंधित समस्त कार्यालय बिलासपुर से संचालित होते है जिसका फायदा ठेकेदार उठाते है . जिम्मेदारों तक उनका कमीशन पहले ही पहुँच जाता तो वह क्यो साइड में आकर कार्य की गुणवत्ता निरीक्षण करेंगे .

घटिया मटेरियल का हो रहा उपयोग : –

उक्त करोड़ो में कार्य में घटिया बिना अप्रूवल ब्रांड का छड़ , सीमेंट उपयोग किया जा रहा है जिससे पुल की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे है . ऐसा नही है इसकी जानकारी संबधित बिलासपुर से अधिकारियों को नही है उक्त मामले में लगातार उच्चाधिकारियों का ध्यानाकर्षण कराया तो गया मगर कार्यवाही शून्य जिससे यह परिलाक्षित होता है कि ठेकेदार के आगे उच्चाधिकारी भी नतमस्तक हो चुके है तब तो इतने बड़े पैमाने पर गुणवत्ताहीन कार्य की ठेकेदार को खुली छूट देकर रखे है .

करोड़ो की पूल का क्या औचित्य : –

सेतु निर्माण विभाग द्वारा जिस स्थान पर पुल बनाया जा रहा है वह औचित्यहीन है जबकि उक्त मार्ग ग्रामीण इलाके की कच्ची सड़क है जिसे ग्रामीण अपनी सहूलियत के लिए बनाए है उक्त कच्ची सड़क में करोड़ो की लागत से पुल निर्माण कराये जाने का उद्देश्य समझ से परे है जबकि जिले में तमाम ऐसी जगह है जहाँ जरूरत है उस जगह को छोड़ ऐसी जगह पूल बनाया जा रहा है जहाँ से रास्ता ही नही है .
बात करे कनेक्टिविटी की तो उक्त मार्ग के आगे बघर्रा टोला है जहाँ लगभग 50 घर है सोन नदी के इस तट पर लगभग 85 घर है आपको बताते चले कि उक्त सोन नदी पर ही छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना कोलबिर्रा जिसकी लागत करीब 200 करोड़ है जिसका बजट में अनुमोदन हो चुका है कार्ययोजना तैयार की जा रही है बस क्रियान्वयन होना बाकी है ऐसे में जल संसाधन विभाग के साथ समन्वय बनाते हुए इस पूल को तब तक रोका जा सकता था चूंकि पहले भी सोनकछार जलाशय की वजह से निचले ग्रामीण क्षेत्र डूबान में आ गए थे ऐसे में अगर उक्त पूल परियोजना के दायरे में आता है तब शासन को आर्थिक छति उठानी पड़ सकती पड़ सकती है .
सवाल यह भी है कि उक्त स्थल का चयन किस आधार पर किया साथ ही इसमें दोनों विभागों का आपसी सामंजस्य नजर नही आता है .

एक इंजीनियर के माथे कई करोड़ का कार्य : –

आपको बता दे सेतु निर्माण संभाग जिसका सम्पूर्ण कार्यालय बिलासपुर से संपादित होता है जिला गौरेला – पेण्ड्रा – मरवाही में लगभग 12 करोड़ से ज्यादा कार्य वर्तमान में चल रहा है उक्त करोड़ो के कार्य एक इंजीनियर के माथे छोड़ दिया गया इंजीनियर न तो फील्ड विजिट करते न ही साइड का निरीक्षण ठेकेदार खुलेआम मनमाने तरीके का मटेरियल उपयोग करते हुए गुणवत्ताहीन पुल बनाने में लगा हुआ है .

रेत का काला कारोबार नदी को रोक दिया गया : –

करोड़ो के पूल निर्माण कार्य मे सोन नदी से खुलेआम रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है साथ ही भरी बरसात के समय नदी के प्रवाह को रोक दिया गया है नदियों से बिना रॉयल्टी के रोजाना रेत निकाली जा रही है जबकिं बरसात में रेत नदी से रेत निकाला जाना अपने आप कई सवालों को जन्म देता है ठेकेदार द्वारा रोजाना रेत से तेल निकालने का अवैध कारोबार किया जा रहा है जिसकी जानकारी जिम्मेदारो को है मगर जिम्मेदार आंख बंद किये हुए रेत निकालने की परिमशन दिए हुए है .

सेतु निर्माण संभाग ब्रिज निर्माण के गुणवत्ता पर पहले से सवाल उठ रहे है : –

पेंड्रारोड रेलवे स्टेशन में बिलासपुर दिशा की ओर बने लगभग 76 करोड़ की लागत से राज्य सरकार और रेलवे के सयुंक्त सहयोग से बने ओवर ब्रिज का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करकमलों से 18 सितंबर 2020 में किया गया था
जो अपने उद्घाटन से केवल तीन दिन तक ही प्रकाशित रहने वाला छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा ब्रिज पेण्ड्रारोड रेल्वे ओवर ब्रिज आज भी सूरज ढलने के बाद बिना प्रकाश के परेशानी का सबब बना हुआ है सेतू रौशन रहा उसके  पश्चात आज तक 100 से ज्यादा लगे विद्युत खंभों में एल ई डी की लाइट तो लगी है मगर रौशनी नहीं है विद्युत प्रवाह  बंद है
इसके साथ ही ब्रिज निर्माण में अनदेखी की वजह से जगह जगह से दरारे आ गई है और ब्रिज कई जगह से धसक चुका है .

अब देखने वाली बात यह है कि उक्त मामले में विभाग क्या कार्यवाही करता है या इसी तरह से बिलासपुर में बैठ कर जिम्मेदार एक इंजीनियर औए ठेकेदार को उपकृत करने में लगे रहते है .

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