झीरम हमले की दोबारा जांच करवाई जावे, असली साजिशकर्ता व गुनहगार का पता चले – छविंद्र कर्मा

दंतेवाड़ा। कांग्रेस के नेता स्व. महेंद्र कर्मा के पुत्र छविंद्र कर्मा ने प्रेस वार्ता में कहा कि झीरम हमले को लेकर एनआईए की जांच रिपोर्ट और जेपी नड्डा का बयान मेल नहीं खा रहा है। आखिर ऐसी कौन सी जानकारी है जो जेपी नड्डा ही जानते हैं और एनआईए को इसकी जानकारी नहीं है। छविंद्र का कहना है कि जेपी नड्डा मोदी कैबिनेट के मंत्री हैं। ऐसे में कैबिनेट में होने वाले हर एक फैसले, निर्णय, जांच की जानकारी उन्हें होती है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मेरी मांग है कि झीरम हमले की दोबारा जांच करवाई जाए। भाजपा सरकार इस भीषण नरसंहार को केवल ‘नक्सली घटनाÓ बताकर अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकती। उन्होने कहा कि इस जांच में जेपी नड्डा को भी शामिल किया जाए, ताकि देश को सच्चाई का पता चल सके। यह स्पष्ट हो कि स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े राजनीतिक हत्याकांड के असली सूत्रधार, साजिशकर्ता और गुनहगार कौन हैं। उन्होने कहा कि मैंने बेहद करीब से झीरम घाटी की घटना देखा है। मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि उस समय नक्सलियों को कांग्रेस के काफिले की अंदरूनी जानकारी और लोकेशन की खबरें कोई बाहरी नहीं दे रहा था, कांग्रेस के बीच के ही कुछ लोग अपने नेताओं को मरवाने में लगे हुए थे, और नक्सलियों से संपर्क कर रहे थे।
जेपी नड्डा के इस बयान के बाद अब छविंद्र कर्मा ने कहा कि झीरम घाटी कांड में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं सहित 32 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या हुई थी। इस घटना को लेकर देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के नेता का गैर-जिम्मेदाराना बयान देना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि पीडि़त परिवारों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है। उन्होंने सवाल उठाया कि उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और जब इस मामले की जांच एनआईए ने की, तब केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार थी। क्या भाजपा सरकारों की जांच एजेंसियां असफल रहीं। कहा कि झीरम घाटी कांड की एनआईए जांच रिपोर्ट और जेपी नड्डा के बयान आपस में मेल नहीं खाते। उन्होंने यह भी कहा कि, 25 मई 2013 की इस दुखद घटना के बाद शहीद महेंद्र कर्मा की अंतिम संस्कार में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन. सिंह (वर्तमान भाजपा सांसद) उपस्थित थे। इसके अलावा तत्कालीन भाजपा सांसद एवं वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी दिल्ली से बस्तर आए और शोकाकुल परिवारों को सांत्वना दी थी। ऐसे में आज भाजपा नेतृत्व का इस तरह के आरोप लगाना न केवल विरोधाभासी है, बल्कि राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित भी प्रतीत होता है।
दरअसल, कुछ दिन पहले जेपी नड्डा छत्तीसगढ़ दौरे पर थे। उन्होंने कहा था कि नक्सलवाद के साथ समझौता करने वाली सरकार को जनता ने उखाड़ फेंका और कमल खिलाया। जेपी नड्डा ने कहा था कि 2013 में हुए झीरम घाटी नक्सली हमले के पीछे कांग्रेस के ही कुछ अंदरूनी लोगों का हाथ था। मुझे याद है जब यह भयानक हमला हुआ था, तब मैं छत्तीसगढ़ में भाजपा का प्रभारी था।

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