घटते बाघों की संख्या चिंताजनक , बाघों के संरक्षण एवं संवर्धन के नाम पर सिर्फ बाघ दिवश , अचानकमार टाइगर रिज़र्व एरिया में बाघों की संख्या घटी , 

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – हर साल पूरे विश्व में 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है जो देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है . यह भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाए जाते है . शुष्क खुले जंगल नम और सदाबहार वन से लेकर मैंग्रोव दलदलों तक इसका क्षेत्र फैला हुआ है . चिंता की बात ये है कि बाघ को वन्यजीवों की लुप्त होती प्रजाति की सूची में रखा गया है लेकिन राहत की बात ये है कि ‘सेव द टाइगर’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों की बदौलत देश में बाघों की संख्या में कुछ वृद्धि तो हुई है मगर छत्तीसगढ़ में घटते बाघों की संख्या में लगातार गिरावट आई है .

महत्वपूर्ण बात है कि बाघों की लुप्त होती प्रजातियों की ओर ध्यान आकर्षित करने उनकी रक्षा करने और बाघों के पारिस्थितिकीय महत्व बताने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है . वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में 116 एवं 2018 में 85 बाघों की मौत हुई है . 2018 में हुई गणना के अनुसार बाघों की संख्या 308 है . साल 2016 में 120 बाघों की मौतें हुईं थीं, जो साल 2006 के बाद सबसे ज्यादा थी . वहीं, साल 2015 में 80 बाघों की मौत की पुष्टि की गई थी . इस दिवस के जरिए बाघ के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है . मगर यह जागरूकता भी महज सोशल प्लेटफार्म से होकर गुजरती हुई शासन में बैठे लोगों का फेसबुक व्हाटसअप स्टेटस तक ही सीमित रह जाती है .

वही बाघों के बारे में यह जानकर आपको खुशी होगी कि देश में बाघों की संख्या बढ़ी है . दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में पाए जाते है मालूम हो कि बाघों की गणना की प्रारंभिक रिपोर्ट दो साल पहले आई थी इसमें देश में बाघों की संख्या में भारी बढ़ोतरी का खुलासा हुआ था . साल 2018 की रिपोर्ट के तहत देश में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई है। पूर्व में हुई गणना के लिहाज से देखा जाए तो साल 2014 के मुकाबले 741 बाघों की बढ़ोतरी हुई है .

बाघों के संरक्षण को लेकर भारत अब दुनिया के दूसरे देशों की मदद करेगा . राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने दुनियाभर में 13 ऐसे देशों की पहचान की है, जहां मौजूदा समय में बाघ पाए जाते हैं, लेकिन संरक्षण के अभाव में इनकी संख्या कम है . ऐसे में भारत इन देशों को बाघों के संरक्षण के लिए बेहतर तकनीक और योजना मुहैया कराएगा .

बात करे अगर अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया की जिसका कुल क्षेत्रफल 914 वर्ग किलोमीटर का है . जिसमे 649 वर्ग किलोमीटर कोर जॉन और 264 वर्ग किलोमीटर बफर ज़ोन एरिया है जिसमे सात रेंज आते है .

एक तरफ जहां पूरा विश्व बाघ दिवश मना रहा है वही अचानकमार में घटती बाघो की संख्या काफी चिंताजनक है .

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने वर्ष 2018 में बाघो की गणना की रिपोर्ट जारी की है जिसमे अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया में कुल पांच बाघो की पुष्टि हुई है जबकि 2014 की गणना की अगर बात की जाए तो बाघो की संख्या 12 थी घटते बाघो की संख्या बेहद गंभीर और चिंतनीय विषय है .

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देशानुसार हर चार साल में एकसाथ देश भर के टाइगर रिजर्व में बाघो की गणना की जाती है इसी तारतम्यता में 2018 की गणना अनुसार ट्रेप कैमरे और पग मार्ग के आधार पर टाइगर रिजर्व प्रबधन ने रिपोर्ट भेजी इसके आधार पर 29 जुलाई 2019 को राज्यवार आंकड़ा जारी किया इसमें छत्तीसगढ़ की स्थिति काफी चिंताजनक थी देश भर में जहाँ 33 % का इजाफा हुआ वही छत्तीसगढ़ में 60 % कमी आई है रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में बाघो की संख्या 46 से घटकर 19 पहुँच गई .

एक साल पहले NTCA ने आंकड़ा जारी कर बताया कि अचानकमार में पांच बाघो की पुष्टि की गई है रिपोर्ट के बाद वन अमले में काफी निराशा देखने को मिली

तमाम कोशिस के बाद भी अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघो की संख्या में कोई इजाफा हो पाया जहाँ न तो कोई संसाधन है ना विशेषज्ञ पानी से लेकर आहार के लिए वन्य प्रजातियों की भटकना पड़ता है .

वही अधिकारियों का कहना है कि बाघो की संख्या न बढ़ने का कारण यह बताया गया कि 19 गांव का विस्थापन न होना है . वही यह भी बताया कि जैसे ही यह गाँव कोर जॉन से हटेगे ग्राम लेंड के साथ साथ कई चीजें विकसित होंगी वही विस्थापन के लिए प्रयास जारी है .

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