लोक निर्माण विभाग की भर्राशाही , एक ही कार्य की दूसरी निविदा , चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने में लगा विभाग ,

लोक निर्माण विभाग की भर्राशाही , एक ही कार्य की दूसरी निविदा , चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने में लगा विभाग ,

GPM : – लोक निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली हमेशा से ही सवालों के घेरे में रही है जहाँ लोक निर्माण विभाग का एक और नया कारनामा सामने आ गया है एक ही निर्माण कार्य की दूसरी बार निविदा प्रकाशन की गई है

आपको बता दे इसके पहले भी लोकनिर्माण विभाग द्वारा 78 लाख की लागत से 7 कार्यो की निविदा का प्रकाशन 22 नवम्बर 2022 को किया था उन्ही कार्यो की द्वितीय निविदा का प्रकाशन दिनांक 21 जनवरी 2023 को किया गया वही उक्त निविदा निविदा को पढ़कर भारी संख्या में ई पंजीकृत ठेकेदार पीडब्ल्यूडी कार्यालय पहुंचे तो यहाँ बाबुओं और अधिकारियों ने निविदा फार्म देने से ही इंकार कर दिया . वही देखते ही देखते पूरा लोक निर्माण खाली हो गया चपरासी भी कार्यालय छोड़ भाग गए जबकिं निविदा आवेदन प्रस्तुत करने की आज अंतिम तिथि निर्धारित है .

महत्वपूर्ण बात यह है गुरूकुल और केंवची में हेलीपैड मरम्मत और रखरखाव सहित गौरेला और केंवची में रेस्ट हाउस की मरम्मत के कार्य के लिए पहले भी निविदा लगाई गई थी निविदा जारी करने के बाद जब बेरोजगार ने आवेदन जमा किया तो आपहिर्याय कारण बताकर निविदा को निरस्त कर दिया गया पुनः दो माह बाद उक्त कार्यो की द्वितीय निविदा का प्रकाशन किया गया जिसमें मात्र दो दिन का ही समय दिया गया ताकि बेरोजगार ठेकेदार आवेदन ही जमा न कर पाए तब सवाल यह खड़ा होता है कि जब पहली निविदा निरस्त कर दी गई थी तब क्या जरूरत पड़ गई कि पुनः दो माह बाद निविदा जारी की गई . मतलब लोक निर्माण विभाग कही न कही अपने चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने में लगा हुआ है .

वही निविदा प्रशासन में पेंच रिपेयरिंग का भी उल्लेख है जबकिं पेंच रिपेयरिंग के लिए रोलर मशीन और तमाम संसाधन बेरोजगार ठेकेदार कैसे जुटाएगा पूर्व में कभी इस तरह पेंच रिपेयरिंग के लिए निविदा नही निकाली गई है .

वही पहुँचे हुए ई पंजीकृत ठेकेदारो ने बताया कि पहले भी इसी तरह बिना निविदा निकाले ही चहेते ठेकेदारों को काम बांट दिया जाता है फिर हो चुके कार्यो की एक दिन पहले निविदा निकाली जाती है और अंतिम दिन फॉर्म ही नही दिया जाता है .
बीते दिनों जेल बिल्डिंग की दीवारों की निविदा निकाली गई मगर उक्त निविदा का फॉर्म ही नही दिया गया . जिसको लेकर ई पंजीकृत ठेकेदारों में खासा रोष है .

वही मामले की जानकारी के लिए जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ते नजर आए मुख्य कार्यपालन अधिकारी समेत लगभग जवाबदेही ऑफिस छोड़कर ही भाग गए ताकि जवाब न देना पड़े

अब देखना यह होगा कि उक्त मामले में क्या कार्यवाही की जाती है या लोक निर्माण विभाग की भर्राशाही ऐसे ही चलती रहेगी

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