आत्म ज्ञान ही सच्चा ज्ञान, इससे ही जीवन में परिवर्तन आता है – स्वामी ओंकारानन्द

00 शिमला से स्वामी ओंकारानन्द सरस्वती का ब्रह्माकुमारीज सेवाकेन्द्र में आगमन हुआ
रायपुर। शिमला से अन्तर्राष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता व इन्टरनेशनल सोसायटी फॉर ट्रूथ के संस्थापक स्वामी ओंकारानन्द सरस्वती ब्रह्माकुमारी संस्थान के चौबे कालोनी स्थित सेवाकेन्द्र पहुंचे। उन्होंने रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और रश्मि दीदी से आध्यात्मिक चर्र्चा की और सुबह के सत्संग में भी शामिल हुए। ब्रह्माकुमारी सौम्या दीदी ने आत्मस्मृति का तिलक लगाकर और गुलदस्ता भेंटकर उनका स्वागत किया।
इस अवसर पर स्वामी ओंकारानन्द सरस्वती ने कहा कि आत्म ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है। जीवन में परिवर्तन आत्म ज्ञान से आता है। ज्ञान दो प्रकार के होते हैं अपराविद्या और पराविद्या। वेद और शास्त्रों का ज्ञान अपराविद्या है तथा शास्त्रों से निचोड$कर जो ज्ञान मिलता है उसे पराविद्या कहते हैं। उन्होंने कहा कि दूसरों की बुराई करने से पहले यह देखना चाहिए कि तुम्हारे में अच्छाई क्या है? जो व्यक्ति अच्छा होता है वही आनन्द में और शान्तिमय रह सकता है। उन्होंने कहा कि साधु का स्वभाव होता है कि वह सार तत्व को ग्रहण करे चाहे वह कहीं से भी मिले। उसका जीवन सबके लिए है। सभी के लिए उसके मन में प्यार होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि भारत ज्ञान की भूमि है। यहीं से सारे विश्व में ज्ञान फैला है। देश-विदेश में चाहे जहाँकहीं भी वह होंं किन्तु सतगुरूवार को वह ब्रह्माकुमारी आश्रम में जाकर सतसंग में हिस्सा जरूर लेते हैं। उनका कई जगहों पर इस संस्थान में जाना होता है। यहाँ जो शिक्षा दी जाती है उससे जीवन की गुत्थियाँ सुलझती है। ब्रह्माकुमारी बहनें ज्ञान और योग से भारत को भरपूर बनाने का कार्य कर रही हैं इसीलिए सरकार भी इस संस्थान से जुड$कर कार्य करना चाहती है। देश-विदेश में सब जगह ब्रह्माकुमारी बहनें वहाँ के लोगों में आध्यात्मिक जागृति लाने का सराहनीय कार्य कर रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *