अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)
हर शाख पर उल्लू –
बर्बाद गुलिस्ता के लिए एक उल्लू ही काफी था मगर यहाँ सुशासन के गुलिस्ता पर उल्लुओं का झुंड है। एक उल्लू तो हाउस में ही बैठा है । जिसपर पहले भी युवाओ के भविष्य से खिलवाड़ के आरोप में एक परीक्षा कंडक्ट करने वाली सरकारी एजेंसी में कथित अनियमितताओ को लेकर महानिदेशक के पद के हटाया जा चूका है। शायद यही कारण और कीर्तिमान है जिसकी वजह से सुशासन से चल रही सरकार ने इस उल्लू को अपने हाउस में पनाह दे दी। अब इस उल्लू के बोध से सारा हाउस सुबोध हो रहा है। हाउस के रखरखाव की जवाबदेही इन उल्लुओं को देने का परिणाम है कि आज सुशासन की सरकार रोजगार से लेकर स्वास्थ हर मुआमले में कटघरे में है। अब तो इस उल्लु के मुर्दाबाद के नारे भी लगने लगे है। वक़्त रहते सुशासन के लिए अगर ऐसे उल्लुओं से हाउस सावधान नही हुआ तो यह उल्लू सारा गुलिस्ता बर्बाद कर के ही दम लेगा।
इंतहा हो गई इंतजार की
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल के दो पद रिक्त हैं। इन पदों पर दो विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिलेगा। टकटकी लगाए देखते हुए विधायक की आस फिर निरास भई जब विधानसभा मानसून सत्र की घोषणा हो गई। तंत्र का तगड़ा मंत्र ये होता है कि विधानसभा में परफॉर्मेंस देखेंगे फिर बदलाव होगा। अगर ये मंत्र लागू हो गया तो फिर इंतजार। कुछ का कहना है कि शायद बाइस जून को अमित शाह जी के दौरे के बाद निर्णय हो सकता है लेकिन समस्या ये है कि ये सब कयास है। सच क्या है कोई बताने वाला नहीं और अफवाह हर किसी से सुन लीजिए। ऐसे में एक वेटिंग लिस्ट वाले विधायक जी का गुस्सा फ़ट पड़ा है। कोई मिलने गया कि बधाई हो सर जल्दी ही आपको मंत्री पद मिल रहा है तो भड़ककर उत्तर मिला वो तो ठीक है मगर कब ??? अब तो इंतहा हो गई इंतजार की।
शहादत पर अभिषेक –
बीते दिनों नक्सल मोर्चे पर लड़ाई लड़ते हुए एक पुलिस अधिकारी शहीद हो गए। जिस पुलिस अधिकारी की इनकी जगह पोस्टिंग थी वह अधिकारी साल भर से राजधानी रायपुर में मौज काट रहा था और लोगो को आईफोन बांटता घूम रहा था। अब कोई सरकारी आदेश तो था नही जिन्हें आईफोन मिला उन्होने आईफोन में ही आदेश दे दिया। और यह अधिकारी साल भर से नक्सल जैसे संवेदनशील मोर्चे से गायब रहा। इसके इस हरकत का दुष्परिणाम एक कर्मठ अधिकारी को शहीद होकर चुकाना पड़ा। मगर विडंबना देखिये सरकार इसकी जांच न कराकर एक शहीद की शहादत पर इनका अभिषेक करते हुए बालोद जिले की कमान सौपने जा रही है।
न कहिए कल परसो आदेश भी जारी हो जाना है। अब यह सब दिखलाई नही पड़ता या आईफोन चमक के ने सियासत की आंखों को ही मोतियाबिंद कर दिया है।
ट्रांसफर सीजन की फीलिंग गायब
ट्रांसफर सीजन आ गया। तीन बरस से लगा बैन खुल गया मगर ट्रांसफर सीजन की फीलिंग नहीं आ रही। अधिकारी अपने मंत्री जी के बंगले न जाकर दूसरे मंत्री जी के चक्कर काट रहे हैं। मंत्रियों का कहना है कि पहले दूसरे मंत्रियों को उनके विभाग की सूची भेज दें फिर अपने विभाग का कर लेंगे। अधिकारियो कर्मचारियों का हाल ये है कि वो आराम से बैठे हैं ,हो गया तो ठीक वरना जैसा चल रहा है ठीक है। असल बात ये है कि पिछले तीन सालों में ट्रांसफर के बैन ने इसका आनंद खत्म कर दिया। सरकार बदलते ही जो संदेश ट्रांसफर करके दिया गया था वो भी अब खत्म हो गया। जो जहां गया सेट हो गया। इसी को मिर्ज़ा ग़ालिब कह गए कि दर्द का हद से बढ़ जाना दवा का हो जाना और आज की बोली में कहें तो ट्रांसफर सीजन की फीलिंग नहीं आ रही।
मोदी की गारंटी पर प्रशासन का डंडा –
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दरमियां मोदी की गारंटी और घोषणा पत्र संजीवनी का काम की। घोषणा पत्र में 57 हजार शिक्षक भर्ती सरकार बनने के 2 वर्ष के अंदर पूरा किये जाने का वादा था। सरकार को लगभग 18 महीने का कार्यकाल पूरा हो चुका है मगर इसकी सुगबुगाहट कही नजर नही आता देख कल यानि 21 जून को युवा बेरोजगारों ने कटोरा तालाब से मरीन ड्राइव तक शांतिपूर्ण धरना के लिए बाकायदा परमिशन लिया। लेकिन बेरोजगार युवाओं के इस प्रदर्शन के शुरू होने से पहले ही प्रशासन का डंडा बज गया और युवा लड़के लड़कियों को खदेड़ दिया गया। इतना ही नही युवाओ को नौकरी मांगने के इस जुर्म में उन्हें पुलिस बस में बैठाकर पूरे दिन शहर घुमाया गया और जब युवा बसों में नारेबाजी कर रहे थे तो पुलिस के साहेबानो को गुस्सा आया और उन्होंने युवा लड़के लड़कियों को आधी रात में जबरजस्ती तूता धरना स्थल छोड़ आये। इससे युवाओ में खासा आक्रोश है और सवाल भी की आखिर मोदी जी की गारंटी में सुशासन का डंडा क्यो बरसाया जा रहा है।
गर्मी की छुट्टियों में शासकीय मसूरी ट्रिप
छत्तीसगढ़ के पदोन्नत अधिकारी जो भारतीय प्रशासनिक सेवा में गए वो हाल ही में मसूरी ट्रेनिंग से लौटे। उसके बाद फेस 2 की ट्रेनिंग में कुछ और नाम गए और कई आई ए एस मसूरी चले गए। एक महिला मंत्री जी के तो दोनों विभाग के सचिव और एक डायरेक्टर एक साथ चले गए। ग्यारह जुलाई को लौटेंगे। किसी ने मना भी नहीं किया। करना भी क्यों चाहेंगे क्योंकि यहां से ट्रांसफर के मौसम में ना रहने के फायदे अलग और मसूरी की वादियों का मजा अलग। अब दो के साथ एक फ्री का ऑफर ये और मिल गया कि विधानसभा प्रश्नों के झंझट से भी बचेंगे क्योंकि ऐन वक्त पर वापस आयेंगे। पहले जब कभी ऐसा हुआ करता था तो सोच समझकर नामजद किया जाता था कि काम भी चलता रहे और प्रशिक्षण भी। बहरहाल मौसम का मजा तो वास्तव में आई ए एस ही उठाते हैं।
ठन ठन गोपाला –
चुंगी छतिपूर्ती को सरकार ने स्थाई समाधान मान लिया है और नगर पंचायतों को कहा जा रहा है कि वह अपने आय का स्रोत खुद तैयार करे सरकार के पास नगर पंचायत को देने के लिए बजट नही है। ऐसा हम नही 112 नगर पंचायत और 43 नगर पालिकाओं से आ रही खबरे तस्दीक कर रही है। बीते 18 महीनों से सरकार ने इनके लिए कोई बजट जारी नही किया हालात यह है कि कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी तनख्वाह नही है। कई महीनों से कर्मचारी वेतन बिना आर्थिक तंगी से झूझ रहे है। नगर का विकास ठप्प पड़ा है। चुंगी छतिपूर्ती ने नगर के विकास का पहिया खींच रहा है। वित्त विभाग ने पहले स्मार्ट सिटी को लेकर तमाम प्रोजेक्ट मंगाए मगर जब इम्प्लीमेंट की बारी आई तो वित्त विभाग ने तो ठन ठन गोपाला कह दिया।
यक्ष प्रश्न –
1 . आजकल किसी भी कार्यक्रम में जाने से पहले कुछ माननीय ये क्यों पूछते हैं कि और कौन कौन आ रहे हैं ? मंच पर कौन रहेगा ?
2 . एक विभाग के 40 करोड़ के खरीदी घोटाले के किस आरोपी अफसर से मंत्री जी ने मिलने से इंकार कर दिया ?









